logo-image

Mahavir Jayanti 2022 Lord Mahavir 5 Teachings: भगवान महावीर स्वामी के ये पंचशील सिद्धांत, संकट काल से देंगे आपको निकाल

भगवान महावीर (lord mahavir) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है. महावीर स्वामी ने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए. ये सिद्धांत (Mahavir Jayanti 2022 Lord Mahavir 5 Teachings) अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य हैं.

Updated on: 12 Apr 2022, 09:28 AM

नई दिल्ली:

हर साल चैत्र के महीने की शुक्ल पक्ष को महावीर जयंती (mahavir jayanti 2022) का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. इस बार ये 14 अप्रैल (mahavir jayanti 14 april) को देशभर में मनाई जाएगी. भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है. जैन धर्म (Jainism) की प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवान महावीर (Bhagwan Mahavir) ने 12 वर्षों तक कठोर तप करके अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त की थी. उन्होंने दुनिया को सत्य और अहिंसा (Truth And Non-Violence) का पाठ पढ़ाया था. 

यह भी पढ़े : Mahavir Jayanti 2022 Lord Mahavir Aarti: महावीर जयंती के दिन भगवान महावीर की करेंगे ये आरती, हर परेशानी से मिल जाएगी मुक्ति

भगवान महावीर ने दूसरों के दुख दूर करने की धर्मवृत्ति को अहिंसा धर्म (bhagwan mahavir story hindi) कहा है. उन्होंने पूरी दुनिया को ये संदेश दिया और संसार का मार्गदर्शन किया. इसके साथ ही दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए. ये सिद्धांत अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य हैं. तो, चलिए आपको विस्तार से उनके सिद्धांत (lord mahavir teachings) बताते हैं.  

यह भी पढ़े : Mahavir Jayanti 2022 Lord Mahavir Chalisa: महावीर जयंती के दिन भगवान महावीर की पढ़ेंगे ये चालीसा, जीवन से दूर हो जाएगी दरिद्रता

अचौर्य (अस्तेय)
अचौर्य सिद्धांत का अर्थ ये होता है कि केवल दूसरों की वस्तुओं को चुराना नहीं है. यानी कि इससे चोरी का अर्थ सिर्फ भौतिक वस्तुओं की चोरी ही नहीं है, बल्कि यहां इसका अर्थ खराब नीयत से भी है. अगर आप दूसरों की सफलताओं से विचलित होते हैं, तो भी ये इसके अंतर्गत आता है. वहीं इसका गहन आध्यात्मिक अर्थ इस तरह बताया गया है कि शरीर-मन-बुद्धि (achaurya) को 'मैं' नहीं मानना. 

अहिंसा
वहीं उनका दूसरा सिद्धांत अहिंसा है. जैन धर्म के 5 मूलभूत सिद्धांत में से ये एक है. ये जीवन जीना सिखाते हैं और भीतर तक अनंत शांति, आनंद की अनुभूति देते हैं. भगवान महावीर (teachings of lord mahavir) के अनुसार 'अहिंसा परमो धर्म' है. इसे तीन जरूरी नीतियों का पालन करके समन्वित किया जा सकता है. इसमें एक है कायिक अहिंसा यानी किसी को कष्ट न देना. अहिंसा को मानने वाले किसी को पीड़ा, चोट, घाव आदि नहीं पहुंचाते. इसके अलावा मानसिक अहिंसा यानी किसी के बारे में अनिष्ट नहीं सोचना. इसमें किसी भी प्राणी के लिए अनिष्ट, बुरा, हानिकारक नहीं सोचना है. इसके अलावा बौद्धिक अहिंसा आती है. यानी किसी (ahinsa) से भी घृणा न करना. 

यह भी पढ़े : Garuda Purana: जीवन में ना करें ये काम, उम्र हो सकती है कम कहता है गरुड़ पुराण

अपरिग्रह
भगवान महावीर का तीसरा सिद्धांत अपरिग्रह है. इसे अपने जीवन में उतारते हुए मानते हुए जैन साधु अपने पास पैसे नहीं रखते. इससे ये सीख मिलती है कि जीवन में जिसकी जितनी जरूरत है. उतने का ही संचय करें. अपरिग्रह के तीन आयाम बताए गए हैं. इसमें से एक है, वस्तुओं का अपरिग्रह. यानी वस्तुओं की उपलब्धता या उनके न होने पर दोनों ही स्थितियों में समान भाव से रहना. मानसिक और शारीरिक रूप से व्याकुल न होना. इसके अलावा व्यक्तियों का अपरिग्रह. यानी व्‍यक्ति जहां भी रहे फिर चाहे वह जनसमूह हो या एकांत हो. हमेशा प्रसन्नचित रहे. वहीं इसके अंतर्गत माना जाता है कि कोई भी विचार संपूर्ण नहीं होता. केवल शुद्ध चैतन्य स्वरूप ही परम और संपूर्ण है. 

सत्य
भगवान महावीर का ये सिद्धांत हर स्थिति में सत्य पर कायम रहने की प्रेरणा देता है. किसी को भी इसे अपनाकर सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए. यानी अपने मन और बुद्धि को इस तरह अनुशासित और संयमित करना, ताकि हर स्थिति में सही का चुनाव (satya) कर सकें. 

यह भी पढ़े : Hanuman Jayanti 2022 Rahasya: लंका में रावण से पहले पूजे गए हनुमान, ऐसे अद्भुत तरीके से हुई थी बजरंगबली की स्तुति

ब्रह्मचर्य
भगवान महावीर का पांचवां सिद्धांत ब्रह्मचर्य है. इसका अर्थ अविवाहित या कुंवारा रहना नहीं है, बल्कि इसका वास्‍तविक अर्थ लोगों का अपनी आत्मा में लीन हो जाना है. दूसरे शब्‍दों में कह सकते हैं कि अपने अंदर छिपे ब्रह्म को पहचानना. भगवान महावीर का संपूर्ण जीवन प्रेरणादाई रहा है. उनके सिद्धांतों का सार यही है कि व्यक्ति जन्म से नहीं, कर्म से महान (brahmacharya) बनता है.