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Chaitra Navratri 2022 Kanya Pujan Niyam: चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन करने से पहले जान लें ये नियम, कहीं हो ना जाए अपशगुन

चैत्र नवरात्रि हो (chaitra navratri 2022) या शारदीय नवरात्रि दोनों ही हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. इन दिनों अष्टमी और नवमी का बहुत महत्व होता है. अगर आप भी नवरात्रि पूजते हैं तो, इस दिन के विशेष नियमों (Kanya pujan niyam) का ध्यान रखें.

Updated on: 07 Apr 2022, 10:59 AM

नई दिल्ली:

चैत्र नवरात्रि हो (chaitra navratri 2022) या शारदीय नवरात्रि दोनों ही हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि का बहुत महत्व होता है. इसे देशभर में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू होगी और 11 अप्रैल से खत्म होगी. इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना (navratri kanya pujan muhurat) की जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं. अगर आप नवरात्रि की अष्टमी तिथि पूजते हैं तो इस दिन कन्या पूजन के कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखना (navratri kanya pujan vidhi) चाहिए. 

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कन्या पूजन के नियम (chaitra navratri 2022 kanya pujan rules)

कन्या पूजन नवरात्रि के नौ दिनों में किया जा सकता है. लेकिन, इसे नवरात्रि के अंतिम दो दिन अष्टमी और नवमी तिथि में करना शुभ और श्रेष्ठ (kanya pujan 2022 niyam) माना गया है. 

कन्या पूजन के दौरान 2 से 10 साल तक की कन्याओं को घर में प्रवेश करवाकर भोजन कराना चाहिए. कन्याओं की संख्या नौ होनी चाहिए क्यों​कि इन्हें मां दुर्गा के नौ रूपों की संज्ञा दी जाती है. इसके साथ में एक छोटे बालक को भी भोज कराना चाहिए. बालक को भैरव बाबा का रूप माना जाता है और लांगुर कहा जाता है.  

कन्याओं को भोजन परोसने से पहले मां दुर्गा का भोग लगाना चाहिए. कन्याओं को भोजन में खीर-पूड़ी, हलवा-चना का प्रसाद जरूर खिलाएं. इसके बाद उन्हें मस्तक पर तिलक लगाएं, हाथों में कलावा बांधें और दक्षिणा, वस्त्र आदि भेंट करें. 

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कन्या भोज के लिए कन्याओं को पहले से आमंत्रित करें और ससम्मान घर बुलाएं. घर आने पर उन पर फूल बरसाकर उनका स्वागत करें. एक थाल में पानी या दूध लेकर उनके पैर धुलवाएं और स्वच्छ आसन (kanya pujan 2022 niyam) पर उन्हें बैठाएं. 

आखिर में सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. खुशी खुशी कन्याओं की विदाई करें, इसके बाद अपना व्रत खोलें. इससे मां भगवती आपको मनवांछित (kanya puja niyam) फल देती हैं.