Kalki Jayanti 2022 Importance and History: कल्कि जयंती का जानेंगे महत्व और इतिहास, धर्म के प्रति जगेगा विश्वास
इस साल कल्कि जयंती (kalki jayanti 2022) 3 अगस्त को मनाई जाएगी. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र, विष्णु चालीसा (kalki jayanti 2022 sawan) आदि का पाठ करना शुभ होता है. तो, चलिए इस दिन के महत्व और इतिहास के बारे में जानते हैं.
नई दिल्ली:
हिंदू धर्म शास्त्रों में हर साल सावन (sawan 2022) के महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती (kalki jayanti 2022) मनाई जाती है. इस साल कल्कि जयंती 3 अगस्त को मनाई जाएगी. सनातन धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का आखिरी अवतार माना जाता है. ये भगवान विष्णु (kalki jayanti 2022 lord vishnu) का दसवां अवतार है, जो अभी तक नहीं लिया गया है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु अब तक 9 अवतार (1- मत्स्य, 2- कूर्मा, 3- वराह, 4- नरसिम्हा, 5- वामन, 6- परशुराम, 7-राम, 8- कृष्ण एवं 9- बुद्ध) ले चुके हैं. ये दिन भगवान विष्णु के भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण दिन होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र, विष्णु चालीसा (kalki jayanti 2022 sawan) आदि का पाठ करना शुभ होता है. तो, चलिए कल्कि जयंती के महत्व और इतिहास के बारे में जानते हैं.
कल्कि जयंती 2022 महत्व -
हिंदू शास्त्रों के अनुसार श्रीहरि के रूप में सावन मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन अवतार लेंगे. इन्हें श्रीहरि के क्रूरतम अवतारों में एक माना जा रहा है. कल्कि जयंती के दिन भक्त मोक्ष की प्राप्ति के लिए श्रीहरि की पूजा और उपवास रखते हैं. उन्हें लगता है कि सृष्टि का कभी भी अंत हो सकता है. इसलिए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करते हैं. ज्योतिष शास्त्र (kalki jayanti 2022 importance) के अनुसार कल्कि को देवताओं के आठ सर्वोच्च गुणों का प्रतीक माना जाता है. उनके अवतार का मुख्य उद्देश्य एक विश्वासहीन दुनिया की मुक्ति का है. कलयुग में लोगों का धर्म-कर्म से विश्वास उठ चुका है. वे भौतिकवादी और लालच में धर्म-कर्म को भूल रहे हैं. माना जा रहा है कि भ्रष्ट राजाओं की हत्या के बाद, कल्कि मानव जगत में भक्ति भाव जगाएंगे. लोगों का एक बार पुनः धर्म कर्म के प्रति लोगों का विश्वास जागेगा. इसके पश्चात एक नई सृष्टि (kalki jayanti 2022 significance) की रचना होगी.
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कल्कि जयंती 2022 इतिहास -
मिली हुई जानकारी के अनुसार, कल्कि जयंती की शुरुआत करीब 300 साल पहले राजस्थान के मावजी महाराज ने की थी. उसी समय से सावन मास के शुक्लपक्ष के छठवें दिन कल्कि जयंती परंपरागत तरीके (kalki jayanti 2022 history) से मनाई जा रही है, जो कि इस वर्ष 3 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी.
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