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पारस भाई की जुबानी जानें मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का महत्व

पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने कहा कि हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का विशेष महत्व है. इसे मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी मानी गई है.

Updated on: 13 Dec 2021, 08:05 PM

नई दिल्ली:

पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने कहा कि हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का विशेष महत्व है. इसे मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी मानी गई है. इसे मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं. इस साल 14 दिसंबर को मोक्षता एकादशी और गीता जयंती है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना और उपासना करने का विधि-विधान है. गुरुदेव पारस भाई ने कहा कि मोक्षदा एकादशी के दिन उपवास और पूजा-अर्चना करने से इंसान को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस जन्म में ये धार्मिक क्रियाएं लोगों के सारे पापों का नाश भी करती हैं. उन्होंने कहा कि इस दिन ही कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, इसलिए इस दिन भी गीता जयंती भी मनाई जाती है.

पारस भाई जी ने कहा कि अगर मोक्षता एकादशी के दिन व्रत करने वाले लोग व्रत की कथा का पाठ करते हैं तो उन्हें साभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन उपवास रखने और श्रीविष्णु भगवान की पूजा-अर्चना करने से प्रभु की कृपा बरसती है, जिससे जीवन सुखमय होता और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं.

मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

एकदाशी तिथि : 13 दिसंबर, 09:32 PM से प्रारंभ 
समापन : 14 दिसंबर 11:35 PM पर 
व्रत का पारण : 15 दिसंबर 07:05 AM से 09:09 AM तक

मोक्षदा एकादशी की व्रत विधि

गुरुदेव पारस भाई ने कहा कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि नित्य कर्मों के पश्चात घर के मंदिर की सफाई करनी चाहिए. इसके बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. मंदिर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र अर्पित करें और फिर भगवान को रोली तथा अक्षत का तिलक लगाएं।

भगवान को फल और मेवे चढ़ाएं

पूजा की शुरुआत करते समय सबसे पहले श्रीगणेश और लक्ष्मी माता के साथ श्रीहरि की आरती करनी चाहिए. इस दौरान श्रीविष्णु को तुलसी के पत्ते जरूर चढ़ाना चाहिए.