घर पर स्थापित करें दिव्य पार्थिव शिवलिंग, जानें पूजा विधि और महत्व
सावन का महीना चल रहा है और हर तरफ ॐ नमः शिवाय की गूंज है. ऐसे में आज हम आपको पार्थिव शिवलिंग बनाने की पूर्ण विधि बताने जा रहे हैं. साथ ही, हम आपको पार्थिव शिवलिंग का महत्व और उसका पूजा विधान भी विस्तार से बताएंगे.
highlights
- पार्थिव शिवलिंग के पूजन से नष्ट हो जाता है अकाल मृत्यु का भय
- पार्थिव शिवलिंग की पूजा को स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैं
नई दिल्ली:
सावन का महीना चल रहा है और हर तरफ ॐ नमः शिवाय की गूंज है. मंदिरों से लेकर घरों तक हर दिशा में हर स्थान पर शिवमय वातावरण छाया हुआ है. मंदिरों में भव्य रुद्राभिषेक और आलौकिक शिव श्रृंगार देखने के लिए लोग हमेशा तत्पर रहते हैं और भोलेनाथ की झलक पाते ही अत्यंत सुख से आनंदित हो उठते हैं. लेकिन कभी कभार मंदिरों में भीड़ के चलते या अन्य किन्हीं कारणों से भक्त मंदिर नहीं जा पाते और भगवान भोलेनाथ के दर्शनों से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में अगर हम आपसे ये कहें कि अब देवादि देव महादेव स्वयं आपके घर पर विराजेंगे तो. अब आप महादेव के आशीर्वाद से वंचित नहीं रहेंगे तो. जी हां, आज हम आपके और महादेव के बीच की दूरी को कम करने आये हैं. अब अगर आप किसी भी वजह से शिव शंभू के दर्शन हेतु मंदिर नहीं जा पाते हैं तब भी आप भगवान शिव का आशीष पा सकेंगे. आज हम आपको ज्योतिषाचार्य अरविन्द त्रिपाठी जी की मदद से पार्थिव शिवलिंग बनाने की पूर्ण विधि बताने जा रहे हैं. साथ ही, हम आपको पार्थिव शिवलिंग का महत्व और उसका पूजा विधान भी विस्तार से बताएंगे.
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पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि
पार्थिव शिवलिंग मिट्टी , जल , भस्म , चन्दन , शहद आदि को मिश्रित (मिलाकर) करके अपने हाथों से निर्मित किया जाता है. इसके लिए छानी हुई शुद्ध मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन , शहद ,चन्दन और भस्म मिलाकर शिवलिंग का निर्माण करें. शिवलिंग की ऊँचाई 12 अंगुल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. पार्थिव शिवलिंग के पूजन से जन्म -जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं. अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है. अपार शिव कृपा की प्राप्ति होती है. सावन में शिव भक्ति विशेष महत्व रखती है अत: सावन में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसकी पूजा अर्चना करना बहुत मंगलकारी माना गया है. बता दें कि, "कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन का प्रारंभ किया था."
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पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व
शिव महा पुराण में 'विद्येश्वरसंहिता' के 16वे अध्याय में दिए गए श्लोक "अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।" के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की बहु, पुत्र वधु जो होती है वो शिव शंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है और इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है. गृह लक्ष्मी द्वारा की गई पार्थिव शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु को भी टालती है. बता दें कि, इस पूजा को स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैं. शिवपुराण के अनुसार, पार्थिव पूजन से धन-धान्य, आरोग्य के साथ ही पुत्र की प्राप्ति होती है. जो दम्पति पुत्र प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं, उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए. पार्थिव लिंग के पूजन से अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है. शिवजी की आराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं.
डॉ 0 अरविन्द त्रिपाठी ज्योतिषाचार्य
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