Prayagraj Hanuman Ji Mandir History: यहां लेटे हुए हनुमान जी को स्नान कराने खुद आती हैं गंगा मैया
हनुमान जी का एक मंदिर (Sangam Hanuman Mandir) उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भी है. जिसकी मान्यता देश भर में है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी (prayagraj hanumanji mandir) के दर्शन के बिना संगम स्नान अधूरा है.
नई दिल्ली:
भारत देश ऐतिहासिक और चमत्कारिक मंदिरों (Hanuman ji temple) के लिए जाना जाता है. पौराणिक काल से ही बजरंगबली का नाम चमत्कारों (hanuman mandir) से जुड़ा हुआ है. न सिर्फ पौराणिक काल बल्कि कलियुग भी हनुमान जी के चमत्कारों से सजा है. ऐसा ही एक मंदिर (Sangam Hanuman Mandir) उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भी है. जिसकी मान्यता देश भर में है. दरअसल, ये मंदिर हनुमान जी का है और हनुमान जी यानी कि चमत्कार. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के बिना संगम स्नान अधूरा है. ये मंदिर अपने आप में अनोखा है. इस मंदिर (Bade Hanuman Mandir Story) में हनुमान जी की प्रतिमा खड़ी हुई नहीं बल्कि लेटी हुई अवस्था में विराजमान है. तो, चलिए जानते हैं कि आखिर इस मंदिर की विशेषता है क्या.
इसलिए लेटे हनुमान जी औरे व्यापारी को दिया सपना -
एक कहानी के अनुसार, सैकड़ों वर्ष पूर्व, एक धनी व्यापारी हनुमान जी की इस मूर्ति को लेकर जा रहा था. तभी उसकी नाव संगम के तट पर पहुंची और हनुमान जी की मूर्ति गिर गई. इस व्यापारी ने हनुमान जी की मूर्ति उठाने की तमाम कोशिशें की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली, तब उसे हनुमान जी ने एक रात सपना दिया और कहा कि वे इस संगम पर ही रहना (mystery of lete hanumanji) चाहते हैं.
मंदिर का इतिहास -
प्रयागराज का ये मंदिर कम से कम 600 से 700 साल पुराना माना जाता है. बताया जाता है कि कन्नौज के राजा की कोई संतान नहीं थी. उनके गुरु ने उपाय के रूप में बताया कि‘हनुमान जी की ऐसी प्रतिका निर्माण करवाइए जो राम लक्ष्मण को नाग पाश से छुड़ाने के लिए पाताल में गए थे. हनुमान जी का ये विग्रह विंध्याचल पर्वत से बनवाकर लाया जाना चाहिए.’ जब कन्नौज के राजा ने ऐसा ही किया और वे विंध्याचल से हनुमान जी की प्रतिमा नाव से लेकर आए. तभी अचानक से नाव टूट गई और ये प्रतिका जलमग्न हो गई. राजा को ये देखकर बेहद दुख हुआ और वे अपने राज्य वापस लौट गए. इस घटना के कई वर्षों बाद जब गंगा का जलस्तर घटा तो वहां धूनी जमाने का प्रयास कर रहे राम भक्त बाबा बालगिरी महाराज को ये प्रतिमा मिली. उसके बाद वहां के राजा द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया.
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हनुमान जी की मूर्ति है 20 फीट लंबी -
हनुमान जी की इस मूर्ति की लंबाई लगभग 20 फीट है. मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान भक्तों की यहां भारी भीड़ उमड़ती है. माना जाता है कि गंगा का पानी, भगवान हनुमान जी का स्पर्श करता है और उसके बाद गंगा का पानी उतर जाता है. ये हनुमान जी का सिद्ध मंदिर है. कहते हैं कि हनुमान जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. यहां आने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. हर संकटों (Ganga bathes Hanuman ji) से मुक्ति मिलती है.
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