Gayatri Jayanti 2022 Katha: गायत्री जयंती पर मां गायत्री से से जुड़ी पढ़ें ये कथा, दूर हो जाएगी हर विपदा
गायत्री जयंती (gayatri jayanti 2022) के पावन अवसर पर मां गायत्री की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करें और गायत्री मंत्र का जाप करें. इससे आपके सारे दुख दर्द दूर होंगे. तो, चलिए अब आपको इससे जुड़ी कथा (Gayatri Jayanti 2022 Katha) के बारे में बताते हैं.
नई दिल्ली:
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती (gayatri jayanti 2022) मनाई जाती है. इस साल गायत्री जयंती 11 जून 2022, दिन शनिवार को है. धर्म शास्त्रों में मां गायत्री (maa gayatri) को वेद माता के नाम से जाना जाता है. इस दिन मां गायत्री की विशेष आराधना की जाती है. माता गायत्री को देवी पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी का संयुक्त अवतार भी माना जाता है. इस दिन विधि विधान से पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव दूर होता है. इस बार ये तिथि 10 जून, 2022 को 7 बजकर 28 मिनट पर प्रारम्भ होकर 11 जून, 2022 को 5 बजकर 46 मिनट (Gayatri Jayanti 2022 vrat) पर समाप्त होगी.
कहा जाता है कि जिन लोगों पर मां गायत्री की कृपा होती है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उनका मानसिक तनाव समाप्त हो जाता है. घर में सुख समृद्धि और धनागमन होता है. परिवार में एकता रहती है. ऐसे में विशेष कृपा पाने के लिए गायत्री जयंती के पावन अवसर पर आप मां गायत्री की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करें और गायत्री मंत्र का जाप करें. उसके बाद पूजा का समापन गायत्री माता की आरती से करें. इससे आपके सारे दुख दर्द दूर होंगे. तो, चलिए अब आपको इससे जुड़ी कथा के बारे में बताते हैं.
गायत्री जयंती की कथा
गायत्री जयंती के बारे में पौराणिक कथाओं से अनेक विचार प्राप्त होते हैं. जिनमें वेदों का सार गायत्री को ही बताया गया है. ब्रह्मा जी द्वारा गायत्री के उत्पत्ति की बात कही गई है. सृष्टि में ज्ञान व चैतन्य शक्ति गायत्री का स्वरुप है. सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माजी ने गायत्री को उत्पन्न किया था और जिसे गायत्री नाम से पुकारा गया. ब्रह्मा ने चार वेदों की रचना से पहले 24 अक्षर वाले गायत्री मन्त्र की रचना की थी. इस एक गायत्री मंत्र का प्रत्येक अक्षर अपने आप में संपूर्ण ज्ञान को समाहित किए होता है. इसमें सभी सूक्ष्म तत्त्व समाहित हैं. इसके पश्चात ब्रह्मा एवं गायत्री के संयुक्त प्रभाव के बाद जो (gayatri jayanti 2022 katha) पनपा वह वेद था.
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मां गायत्री का वेदों से संबंध
मां गायत्री को वेदों की उत्पति का रुप माना गया है. इसलिए वेदों का सार भी गायत्री मंत्र को ही बताया गया है. यानी की जो भी कुछ वेदों में दिया गया है. उसके संपूर्ण विचार गायत्री से ही उत्पन्न हुए हैं. चारों वेदों का ज्ञान लेने के बाद जिस पुण्य की प्राप्ति होती है. उसकी प्राप्ति सिर्फ गायत्री मंत्र के उच्चारण द्वारा संभव हो पाती है. चारों वेदों की माता गायत्री को ही कहा गया है, इसलिए गायत्री वेदमाता (gayatri jayanti ved relation) भी कही जाती हैं.
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