logo-image

Sawan Mangla Gauri Vrat 2022 Shubh Muhurat and Puja Vidhi: सावन के पहले मंगला गौरी व्रत में अपनाएं ये पूजा विधि, अखंड सौभाग्यवती वरदान की होगी प्राप्ति

भगवान भोलेनाथ की तरह मां गौरी को भी सावन का महीना (sawan 2022) बहुत प्रिय होता है. इस महीने में प्रत्येक मंगलवार को व्रत किया जाता है. जिसे मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri vrat 2022) के नाम से जाना जाता है.

Updated on: 19 Jul 2022, 08:45 AM

नई दिल्ली:

सावन का महीना 14 जुलाई (sawan 2022) से शुरू हो चुका है. इस पूरे महीने में भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा की जाती है. सावन माह में प्रत्येक सोमवार को व्रत करने का जितना महत्व होता है. उतना ही महत्व मंगलवार को व्रत (sawan 2022 First Mangla Gauri vrat) करने का भी होता है. भगवान भोलेनाथ की तरह मां गौरी को भी सावन का महीना बहुत प्रिय होता है. इस महीने में प्रत्येक मंगलवार को व्रत किया जाता है. जिसे मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri vrat 2022) के नाम से जाना जाता है. सावन माह का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई यानी कि आज है. इस दिन मां गौरी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. ये व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्यवती की कामना के लिए करती हैं. धर्म शास्त्रों में इस व्रत को करने के लिए विशेष नियम बताए गए हैं. तो, चलिए इस दिन के मुहूर्क और पूजा विधि के बारे में जान लें.  

यह भी पढ़े : Puja Path Falling Things Inauspicious: पूजा-पाठ की ये चीजें हाथ से नहीं जानी चाहिए छूट, वरना परिवार में पड़ने लगती है फूट

मंगला गौरी व्रत 2022 शुभ मुहूर्त - (Mangla Gauri vrat 2022 shubh muhurat) 

सिद्धि योग -19 जुलाई 2022 को सुबह 5.35 मिनट से लेकर दोपहर 12.12 मिनट तक.

रवि योग - सुबह 05.35 मिनट से दोपहर 12.12 मिनट तक.

सुकर्मा योग - दोपहर 01.44 मिनट से शुरू होकर पूरी रात.  

यह भी पढ़े : Never Apply Sindoor After Bath: नहाने के बाद सिंदूर लगाना ला सकता है पति की जान पर आफत, एक लापरवाही बिगाड़ देगी आपका सुखी संसार

मंगला गौरी व्रत 2022 पूजा विधि - (Mangla Gauri vrat 2022 puja vidhi)  

व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर निराहार व्रत का संकल्प लें.

उसके बाद पूजा घर में साफ सफाई के बाद चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछा लें और उस पर मां मंगला गौरी के चित्र को स्थापित करें.

अब मां पार्वती को कुमकुम, सिंदूर, लाल पुष्प,  इत्र, चावल, धूप, दीप, नैवेद्य, लौंग, इलायची, नारियल, सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.

मां मंगला गौरी को भोग लगाकर कथा पढ़ें और फिर आरती कर शाम के समय व्रत का पारण करें.