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150 साल तक जीते हैं हुंजा समुदाय के लोग, जानें अखंड भारत में ये कहां रहते हैं 

भारत के अभिन्न अंग में हुंजा समुदाय के लोग रहते हैं. ये बॉन धर्म के अनुयायी हैं, जिनकी उम्र कम से कम 150 वर्ष की होती है. कहते हैं कि 60 वर्ष की उम्र तक इस समुदाय की औरतें आराम से बच्चे पैदा करती हैं.

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Inna Khosla
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people of hunza valley( Photo Credit : News Nation)

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दुनिया में सबसे अधिक दिन तक जीने वाले लोग हुंजा घाटी में रहते हैं. आखिर क्या कारण हैं कि इस घाटी में रहने वाले हुंजा समुदाय के लोग 150 सालों तक जीवित रहते हैं. आखिर क्या कारण है कि औरतें 80 साल के उम्र में भी 30 साल जैसी खूबसूरत और हसीन दिखती है. हुंजा घाटी में रहने वाले लोग कौन सा भोजन करते हैं और कैसा पानी पीते हैं कि वहां की औरतें 60 साल के उम्र में भी बच्चे पैदा कर सकती हैं. हुंजा घाटी में रहने वाले ये लोग किसके वंशज हैं और किस धर्म को मानते हैं ये आप भी जरूर जानना चाहेंगे. वैसे तो लोगों की औसत उम्र 60 वर्ष की मानी जाती है, लेकिन आज के दौर में भी ऐसे लोग हैं जो डेढ़ सौ साल तक जीते हैं और वो भी बिना किसी बीमारी और बुढ़ापे के, तो इनके इतिहास से लेकर इनकी विशेषताओं तक सब जानिए यहां.

दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाएं 

इस समुदाय के लोग पाकिस्तान के अन्य समुदायों से कहीं ज्यादा पढ़े लिखे होते हैं. हुंजा घाटी में इनकी जनसंख्या करीब 87,000 है. आज के समय में हर कोई जवान और खूबसूरत दिखना चाहता है पर लाख कोशिशों के बावजूद भी लोग जवान और खूबसूरत नहीं रह पाते हैं. लेकिन कश्मीर के इस जगह की महिलाएं 80 साल की होने के बावजूद भी दिखने में 30 से 40 साल की लगती है. यहां की महिलाओं को दुनिया के खूबसूरत महिलाओं में गिना जाता है. कश्मीर के पर्यटन स्थलों में हुंजा घाटी काफी मशहूर जगहों में से एक है. यहां की खूबसूरती को देखने के लिए दुनिया भर से कई लोग जाते हैं. 

इस समुदाय के लोगों के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोगों की मानसिक और शारीरिक स्थिति काफी मजबूत होती है. इनकी जीवनशैली की वजह से ये बहुत खूबसूरत होते हैं. इनकी जीवन शैली अन्य लोगों की तुलना में काफी अलग होती है. ये लोग सुबह 5:00 बजे ही उठ जाते हैं. साइकिल या फिर गाड़ी का ये लोग कम ही इस्तेमाल करते हैं. गाड़ी की तुलना में ये लोग पैदल ही जाना पसंद करते हैं. 

क्या खाते हैं हुंजा समुदाय के लोग (What are the secrets of Hunza longevity?)

बताया जाता है कि ये लोग 1 दिन में सिर्फ दो ही बार खाना खाते हैं. खाने का समय भी फिक्स होता है. एक बार ये 12:00 बजे खाते हैं, वहीं दूसरी बार रात के 8-9 बजे के बीच में खा लेते हैं. इनका खाना भी एकदम नेचुरल होता है यानि इनकी सब्जियों, फल, दूध, मक्खन इत्यादि चीजों में किसी भी तरह का मिलावट नहीं होती है. हुंजा समुदाय के लोग खाने में बाजरा, जौ, कुट्टू और गेहूं का ही इस्तेमाल करते हैं. ये चीजें शारीरिक तौर पर मजबूत करने में सहायक होती है. ऐसा भी कहा जाता है कि ये लोग नॉन वेज बहुत कम खाते हैं. किसी खास मौके पर ही मांस बनाया जाता है. 

कहां रहते हैं हुंजा समुदाय के लोग 

हुंजा समुदाय के लोग हिमालय के तलहटी क्षेत्र में रहते हैं. माना जाता है हिमालय से सीधे बहने वाले जल को पीने से इन्हें जल्दी कोई बिमारी नहीं होती और बुढ़ापे से भी ये दूर रहते हैं. पानी में मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट काफी मात्रा में होते हैं जो इन्हें मजबूत और खूबसूरत बनाते हैं. 

किस धर्म को मानते हैं हुंजा समुदाय के लोग (What is the religion of the Hunza people?)

इस्लाम के आगमन से पहले इस क्षेत्र के अधिकांश लोग बौद्ध धर्म और उससे भी पहले बोन धर्म को मानते थे. बोन धर्म कैलाश पर्वत के तलहाटी में रहने वाले कबीलों का धर्म था जिसे तिब्बत के रहने वाले कुछ लोग आज भी मानते हैं. यह प्राचीन वैदिक धर्म का मिलता जुलता एक रूप है. बोन धर्म ग्रंथों के अनुसार शुरुआत में प्रकाश और अंधेरे इन दो शक्तियां ने दो व्यक्तियों का निर्माण किया काले आदमी जिसे नेलवा नाकपो कहा जाता है, इन्होंने सितारों और सभी राक्षसों को बनाया और ये सूखे, महामारी जैसी बुरी चीजों के लिए जिम्मेदार हैं. व्यक्ति जिसे ओसेल्डन कहा जाता है, वह अच्छा और गुणी है. उसने सूर्य और चंद्रमा की रचना की और मनुष्यों को धर्म की शिक्षा दी. 

बोन धर्म के अनुयायी (What does Bon religion believe?) ये मानते हैं कि शुरुआत में यह ब्रह्मांड एक शून्य था. इससे पांच तत्वों पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और अंतरिक्ष का निर्माण हुआ. मतलब ब्रह्माण की जो व्याख्या वैदिक धर्म ग्रंथों में वर्णित है, वही बोन धर्म के लोग भी मानते हैं. बोन धर्म के बाद हुंजा घाटी के बहुत लोगों ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था. मतलब इस क्षेत्र के रहने वाले सब लोग सनातनी ही थे. इस क्षेत्र में चट्टानों पर लिखी प्राचीन ब्रांडी लिपि में भिक्ती चित्र के कई कार्य हैं, जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं द्वारा पूजा और संस्कृति के रूप में निर्मित किया गया था. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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