logo-image

Vat Purnima 2022 Vrat Banyan Tree Significance: वट पूर्णिमा व्रत के दौरान बरगद के वृक्ष का जानें महत्व, हर बाधा होगी दूर

इस साल वट पूर्णिमा का व्रत 14 जून (vat purnima 2022 vrat date) को रखा जाएगा. उत्तर भारत में इसे वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है. इस पेड़ के ऊपर त्रिदेवों (Vat Purnima 2022 Vrat Banyan Tree Significance) का वास बताया गया है.

Updated on: 12 Jun 2022, 02:33 PM

नई दिल्ली:

दक्षिण भारत में वट पूर्णिमा के व्रत (vat purnima 2022 vrat) का बहुत महत्व होता है. इस साल ये व्रत 14 जून (vat purnima 2022 vrat date) के रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए बरगद के वृक्ष से प्रार्थना करती हैं. उत्तर भारत में इसे वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है. इसमें भी सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. इस पेड़ के ऊपर त्रिदेवों का वास बताया गया है. तो, चलिए आपको बरगद के वृक्ष का महत्व बताते हैं.

यह भी पढ़े : Vat Purnima 2022 Vrat Vishesh Rules: वट पूर्णिमा व्रत में रखें इन विशेष बातों का ध्यान, जीवन में सुख-समृद्धि का होगा वास

बरगद के वृक्ष का महत्व 

बरगद के वृक्ष को सभी वृक्षों में श्रेष्ठ माना जाता है. क्योंकि यह अन्य वृक्षों से अधिक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है और पर्यावरण के लिए बहुत अधिक लाभकारी होता है. इसका वैज्ञानिक महत्व होने की वजह से भी इस पेड़ को पूजा जाता है. शास्त्रों के मुताबिक, इसका संबंध देवों के देव महादेव, भगवान विष्णि और ब्रह्मा से भी माना जाता है. कहा जाता है कि इसकी जड़ों में ब्रह्मा, शाखाओं में शिव और छाल में भगवान विष्णु का वास होता है. अगर आप नियमित रूप से इस पेड़ की पूजा करते हैं, तो इससे आपके जीवन में आने वाली बाधाएं आसानी से दूर (vat purnima 2022 vrat bargad tree significance) हो सकती हैं. 

यह भी पढ़े : Vat Purnima 2022 Vrat Upay: वट पूर्णिमा व्रत के दिन आजमाएं ये उपाय, घर में मौजूद नकारात्मकता और धन की कमी से छुटकारा पाएं

एक दिन के उपवास के बाद बांधे धागा

इसके अलावा, बरगद का पेड़ ब्रह्मा, विष्णु और महेश की हिंदू त्रिमूर्ति का प्रतीक है. इसलिए, पेड़ की जड़ें ब्रह्मा (निर्माता) का प्रतिनिधित्व करती हैं, पेड़ का तना विष्णु (रक्षक) का प्रतीक है, और छत्र को शिव (विनाशक) कहा जाता है. इसलिए, महिलाएं एक दिन का उपवास रखती हैं और देवताओं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं क्योंकि वे पेड़ के तने के चारों ओर एक पवित्र धागा बांधती हैं. इस प्रकार, अपने पति की भलाई (vat purnima 2022 vrat dhaaga) के लिए प्रार्थना करते हैं.