Karwa Chauth 2022 Apshagun For Newly Married: पहली बार व्रत रखने जा रही विवाहिताओं के लिए अशुभ है ये करवा चौथ, जानें इसके पीछे की वजह
Karwa Chauth 2022 Apshagun For Newly Married: हिंदू धर्म में करवा चौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022, दिन गुरुवार को पड़ रहा है. सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है.
नई दिल्ली :
Karwa Chauth 2022 Apshagun For Newly Married: हिंदू धर्म में करवा चौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022, दिन गुरुवार को पड़ रहा है. सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं. दिन भर व्रत रहने के बाद रात में चौथ का चांद देखने के बाद छलनी में पति का चेहरा देखकर ही महिलाएं व्रत का पारण करती हैं. इस साल का करवा चौथ का त्योहार बेहद शुभ संयोग में मनाया जाने वाला है. इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों पहली बार व्रत रखने जा रही शादीशुदा महिलाओं के लिए इस बार अपशगुन लेकर आ रहा है करवा चौथ.
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करवा चौथ 2022 पहला करवा चौथ क्यों है अपशगुनी (Karwa Chauth 2022 Why Karwa Chauth Vrat is inauspicious for newly married women?)
ज्योतिष जानकारों के अनुसार, जिन भी महिलाओं की शादी हाल ही में हुई है और जिनका ये पहला करवा चौथ है. उन्हें इस दिन व्रत रखने से बचना होगा. दरअसल, 20 नवंबर तक शुक्रास्त का मान रहेगा. ऐसे में नविवाहिताओं का अपने पति के लिए व्रत रखना दुष्प्रभाव का कारण बन सकता है. ज्योतिषों का मानना है कि सुख-वैभव, प्रेम, वैवाहिक सुख देने वाले शुक्र ग्रह के अस्त होने (तारा डूबना) से इस बार पहली बार सुहागिनों को व्रत रखने से बचाना चाहिए.
20 नवंबर तक शुक्र अस्त का मान रहने से इस दौरान शुभ कार्य वंचित होंगे. इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं होंगे. शुक्र ग्रह का अस्त होना सभी लोगों के धन, सुख, प्रेम और वैवाहिक जीवन पर बड़ा असर डालता है. सामान्यत: शुक्र और बृहस्पति के अस्त होने पर मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है. सुहागिन पहली बार करवा चौथ व्रत रख रही है वह भी व्रत शुरू न करें. शुक्र अस्त होने से इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
करवा चौथ के व्रत का उद्यापन 16 वर्ष में हो जाता है. बहुत सी स्त्रियां जीवन भर व्रत रखती हैं. किंतु इस वर्ष करवा चौथ के दौरान शुक्र ग्रह अस्त है. इस कारण जो महिलाएं करवा चौथ का उद्यापन करना चाहती है वह नहीं कर पाएंगी, क्योंकि शुक्र ग्रह अस्त होने से सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन स्त्रियां व्रत रख सकती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोल सकती हैं.
ज्योतिष जानकारों के अनुसार, शुक्र ग्रह अस्त होने की स्थिति में करवाचौथ के व्रत में शिव पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश और चंद्रमा का पूजन करना चाहिए. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है.
पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास या सास की उम्र के समान किसी सुहागिन के पैर छूकर सुहाग की सामग्री भेंट करना उत्तम होता है. पूजन से पहले छत या आंगन में गाय के गोबर से लीपकर और स्वास्तिक बनाकर पूजन करना चाहिए.
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