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Karwa Chauth 2022 Puja Samagri aur Vidhi: अधूरा न रह जाए कहीं आपका करवा चौथ, फौरन नोट कर लें पूजा सामग्री और संपूर्ण विधि

Karwa Chauth 2022 Puja Samagri aur Vidhi: हिंदू धर्म में करवा चौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022, दिन गुरुवार को पड़ रहा है. सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है.

Updated on: 11 Oct 2022, 11:26 AM

नई दिल्ली :

Karwa Chauth 2022 Puja Samagri aur Vidhi: हिंदू धर्म में करवा चौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022, दिन गुरुवार को पड़ रहा है. सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं. दिन भर व्रत रहने के बाद रात में चौथ का चांद देखने के बाद छलनी में पति का चेहरा देखकर ही महिलाएं व्रत का पारण करती हैं. इस साल का करवा चौथ का त्योहार बेहद शुभ संयोग में मनाया जाने वाला है. इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे. ऐसे में चलिए जानते हैं करवा चौथ की संपूर्ण पूजा सामग्री और विधि के बारे में. 

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करवा चौथ 2022 पूजन सामग्री (Karwa Chauth 2022 Puja Samagri) 
- करवा चौथ की पूजा सामग्री में पान, व्रत कथा की पुस्तक, मिट्‌टी या तांबे का टोटवाला करवा और ढक्कन, कलश, चंदन
- फूल, हल्दी, चावल, मिठाई, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, कुमकुम, मौली, अक्षत
- 16 श्रृंगार का सामान,  मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, छलनी, बिछुआ
- छलनी, करवा माता की तस्वीर, दीपक, अगरबत्ती, कपूर, गेहूं, बाती (रूई)लकड़ी का आसन,  दक्षिणा के पैसे, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी

करवा चौथ 2022 पूजा विधि (Karwa Chauth 2022 Puja Vidhi) 
- करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके पूजा घर की सफाई कर लें. 
- इसके बाद सास द्वारा दी गई सरगी खाकर निर्जला व्रत का संकल्प लें. 
- शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें. 
- इसमें कम से कम 13 करवे जरूर रखें.
- धूप, दीप,चन्दन,रोली और सिन्दूर से पूजन थाली सजाएं. 
- चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू कर दें. 
- पूजा के दौरान महिलाए करवा चौथ कथा सुनती हैं. 
- छलनी के द्वारा चन्द्र दर्शन करने के बाद अर्घ्य दिया जाता है. 
- इसके बाद महिलाएं जल ग्रहण कर अपना व्रत खोलें.
- सास से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लें.