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Karwa Chauth 2020: करवा चौथ पर इसलिए की जाती है चंद्रमा की पूजा, जानें इस व्रत की कथा के बारे में

हिंदू धर्म में करवा चौथ (Karwa Chauth 2020) का विशेष महत्व है. करवा चौथ का व्रत रखकर महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं. हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (Karva Chauth 2020) का व्रत रखा जाता है.

Updated on: 31 Oct 2020, 02:55 PM

नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में करवा चौथ (Karwa Chauth 2020) का विशेष महत्व है. करवा चौथ का व्रत रखकर महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं. हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (Karva Chauth 2020) का व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 4 नवंबर, 2020 (बुधवार) को पड़ रहा है. 
4 नवंबर को सुबह 03:24 बजे से 5 नवंबर को सुबह 05:14 बजे तक चतुर्थी तिथि पड़ रही है. करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर की शाम 5:29 बजे से शाम 6:48 बजे तक है, जबकि रात रात 8:16 बजे चंद्रोदय होगा. आज हम आपको करवा चौथ की व्रत कथा के बारे में बताएंगे. 

एक साहूकार के सात बेटों के अलावा करवा नाम की उसकी बेटी थी. एक बार साहूकार की बेटी को मायके में व्रत करना पड़ा. रात में जब करवा के सभी भाई खाना खा रहे थे, तब भाइयों ने बहन से भी खाना खाने को कहा. लेकिन करवा ने यह कहकर खाना खाने से मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और चांद देखने और पूजा करने के बाद ही खाना खाएगी. बहन की भूखी-प्यासी हालत भाइयों से नहीं देखी गई. 

सबसे छोटा भाई दूर एक पीपल के पेड़ में दीपक प्रज्वलित कर चढ़ गया और भाइयों ने करवा से बोल दिया कि चांद निकल आया है. भाइयों की चालाकी को करवा समझ नहीं पाई और उसने भोजन कर लिया. इसके बाद तुरंत उसके पति की मौत की खबर मिली. पति के शव के साथ करवा साल भर तक बैठी रही और उस पर उगने वाली घास को जमा करती रही. अगले साल करवा ने फिर से विधि-विधान से व्रत किया, जिसके बाद करवा का पति जीवित हो गया. इसलिए इसे करवा चौथ बोला जाने लगा.

सूर्योदय से चंद्रोदय तक करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. चांद को देखने और अर्घ्‍य देने के बाद ही व्रत खोलने का विधान है. चंद्रोदय से पहले भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने के बाद महिलाएं छलनी में दीपक रखकर पति को देखती हैं और पति के हाथों जल पीकर व्रत खोलती हैं. 

करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा इसलिए की जाती है, क्‍योंकि शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना गया है. चंद्रमा की पूजा से दांपत्‍य जीवन सुखी गुजरता है और पति की आयु भी लंबी होती है, ऐसी मान्‍यता है.