Kanwar Yatra 2025: कंधे पर क्यों रखते हैं कांवड़ यात्रा? जानिए इसके पीछे की वजह

Kanwar Yatra 2025: भोलेनाथ का सावन महीना शुरू हो गया है. इसके साथ ही इस महीने में कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है. भक्त शिव जी की कृपा पाने के लिए कांवड़ लेकर जाते हैं.

Kanwar Yatra 2025: भोलेनाथ का सावन महीना शुरू हो गया है. इसके साथ ही इस महीने में कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है. भक्त शिव जी की कृपा पाने के लिए कांवड़ लेकर जाते हैं.

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Nidhi Sharma
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Kanwar Yatra 2025

Kanwar Yatra 2025 Photograph: (Social Media)

Kanwar Yatra 2025: सावन की शुरुआत होते ही भक्त बड़े ही भक्ति -भाव के साथ शिवपूजन करत हैं. वहीं सावन का पावन महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू हो चुका है. सावन के साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है. कांवड़िये कांवड़ में पवित्र नदियों का जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. वहीं आपने देखा होगा कि कावंड़िये अपने कंधे पर कांवड़ लेकर जाते हैं. ऐसा क्यों होता है. आइए आपको बताते है.

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कंधे पर क्यों रखी जाती है कांवड़

कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िये कांवड़ में गंगाजल भरकर इसे अपने कंधे पर रखकर शिवालय तक लेकर जाते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त कठिन यात्रा करते हैं और अपने कंधे पर कांवड़ रखकर चलते हैं और शिवालय तक पहुंचते हैं जो कि धार्मिक तपस्या है. इस दौरान भक्त शारीरिक रूप से कष्ट भी झेलते हैं. भक्त बम-बम भोले की धुन के साथ पहुंचते हैं और गंगाजल चढ़ाकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं. 

कांवड़ यात्रा की शुरुआत 

मान्यता है कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी. इसके अलावा कांवड़ को लंकापति रावण से भी इसका संबंध जोड़ा जाता है. पौराणिक मान्यता है कि, महाबली रावण भगवान शिव का परम भक्त था. एक बार रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया, जिससे शिव क्रोधित हो गए.

कंधे पर पहली कांवड़ यात्रा

वहीं बाद में रावण को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने अपनी भूल स्वीकारते हुए शिवजी को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल से शिव जी का अभिषेक किया. शिवजी का अभिषेक करने के लिए रावण ने ही पहली बार एक विशेष विधि से गंगाजल लेकर आए थे और इस जल को लाने के लिए उसने कांवड़ का उपयोग किया था, जिसे वह अपने कंधे पर लाया था. आज भी इसी परंपरा का पालन करते हुए शिवभक्त भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए कावड़ में गंगाजल भरकर और इसे कंधे पर रखकर चलते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

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