हर साल सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 21 जुलाई को है. वहीं 21 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार भी है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन पालनहार भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं कई सालों बाद इस बार दुर्लभ संयोग बन रहा है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत करने से जातक के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत के समापन को पारण कहा जाता है.
तुलसी में जल न चढ़ाएं
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही इस दिन पर तुलसी के पत्ते या स्पर्श करने से भी बचना चाहिए. क्योंकि ऐसा मान्यता है कि एकादशी के दिन देवी तुलसी निर्जला व्रत करती हैं. और इन सभी कार्यों को करने से उनके व्रत में बाधा पहुंचती है. इसके साथ ही तुलसी के आसपास साफ-सफाई का भी विशेष रूप से ध्यान रखें.
मां लक्ष्मी की कृपा
एकादशी के दिन तुलसी पूजन भी बहुत शुभ माना जाता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी को स्पर्श नहीं करना है. इस दिन पर सूर्यास्त के समय तुलसी के पास घी का दीपक जरूर जलाएं. इसके साथ ही तुलसी की 7 बार परिक्रमा करें और महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते.. मंत्र का जप करें. अंत में मां तुलसी की आरती करें. इससे साधक पर मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है.
भगवान विष्णु का आशीर्वाद
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान में उनके भोग में तुलसी पत्र जरूर अर्पित करें. तुलसी के बिना प्रभु श्रीहरि का भोग अधूरा माना जाता है. लेकिन साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं उतारे जाते. ऐसे में आप एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते उतारकर रख सकते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)