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Kaal Bhairav Ashtami 2023 ( Photo Credit : social media )
Kaal Bhairav Ashtami 2023 : हिंदू पंचांग में वैशाख माह के अष्टमी तिथि के दिन भगवान शिव के अंश कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान के साथ कालभैरव की पूजा करता है, उसके घर परिवार से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है. अगर आपके ऊपर किसी ने तंत्र-मंत्र किया हो, तो वह भी विफल हो जाता है. कालभैरव की सवारी कुत्ता है. इस दिन कुत्ते को दूध पिलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे, कि कालभैरव अष्टमी कब है, इस दिन कौन से उपाय करना शुभ माना जाता है.
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इस दिन अवश्य करें ये उपाय
इस दिन कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद पूजा अर्चना करें. इस दिन शामको कालभैरव की पूजा करें. अगर आप इस दिन कालभैरव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सरसों के ताल से अभिषेक करें. वहीं जिन लोगों पर तंत्र-मंत्र या जादू-टोना किया गया है, तो उस व्यक्ति को कालभैरव को मदिरा चढ़ाना चाहिए. क्योंकि कालभैरव को मदिरा बहुत पसंद है.
इस दिन कालभैरव के भोग के लिए मीठे रोटी बनाएं. वहीं कालभैरव की सवारी कुत्ता है, तो इस दिन आपको काले कुत्ते को दूध और रोटी किलाना चाहिए. इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है. भगवान कालभैरव की सच्चे मन से पूजा करें. इससे व्यक्ति के सभी दुख दुर हो जाते हैं.
कालभैरव की करें आरती
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूं
कृपा तुम्हारी चाहिए , में ध्यान तुम्हारा ही धरूं
मैं चरण छूता आपके, अर्जी मेरी सुन सुन लीजिए
मैं हूँ मति का मंद, मेरी कुछ मदद तो कीजिए
महिमा तुम्हारी बहुत, कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूं
सुनो जी भैरव लाडले...
करते सवारी श्वानकी, चारों दिशा में राज्य है
जितने भूत और प्रेत, सबके आप ही सरताज हैं |
हथियार है जो आपके, उनका क्या वर्णन करूं
सुनो जी भैरव लाडले...
माताजी के सामने तुम, नृत्य भी करते हो सदा
गा गा के गुण अनुवाद से, उनको रिझाते हो सदा
एक सांकली है आपकी तारीफ़ उसकी क्या करूँ
सुनो जी भैरव लाडले...
बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेहंदीपुर सरनाम है
आते जगत के यात्री बजरंग का स्थान है
श्री प्रेतराज सरकारके, मैं शीश चरणों मैं धरूं
सुनो जी भैरव लाडले...
निशदिन तुम्हारे खेल से, माताजी खुश होती रहें
सर पर तुम्हारे हाथ रखकर आशीर्वाद देती रहे
कर जोड़ कर विनती करूं अरुशीश चरणों में धरूं
सुनो जी भैरव लाड़ले, कर जोड़ कर विनती करूं
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।