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Janmashtami 2022 Shri Rangji Mandir: इस मंदिर के पंचांग की है अलग खासियत, जन्माष्टमी के 3 दिन दिखता है दिव्य चमत्कार

Janmashtami 2022 Shri Rangji Mandir: भादों माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि श्री कृष्ण जन्मोत्सव को समर्पित है. इस बार जन्माष्टमी 18 और 19 आगस्त दोनों ही दिन मनाई जाएगी. लेकिन जन्माष्टमी पर श्री रंगजी मंदिर में 3 दिन का महा महोत्सव मनाया जाता है.

Updated on: 18 Aug 2022, 10:35 AM

नई दिल्ली :

Janmashtami 2022 Shri Rangji Mandir: भादों माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि श्री कृष्ण जन्मोत्सव को समर्पित है. इस बार जन्माष्टमी 18 और 19 आगस्त दोनों ही दिन मनाई जाएगी. जहां एक ओर पूरी दुनिया में जन्माष्टमी का पर्व मात्र 1 दिन का होता है वहीं, श्री रंगजी मंदिर में 3 दिन का महा महोत्सव मनाया जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर का पंचांग सामान्य पंचांग से बिलकुल भिन्न है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर के कैलेंडर की खासियत.  

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दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन, मंदिर में दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार ही उत्सव मनाए जाते हैं, जिसकी तिथि उत्तर भारत के पंचांग से अलग होती है. इसलिए इस बार रंगजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी और नंदोत्सव के रूप में आयोजित होने वाला लट्ठा का मेला 22 अगस्त की शाम को मंदिर परिसर में आयोजित होगा. 

दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर रात में ठाकुरजी का पंचगव्य से महाभिषेक कर सुंदर पोशाक और आभूषण धारण करवाए जाते हैं. वेदमंत्रों की अनुगूंज के मध्य आराध्य का पूजन होता है और दूसरे दिन शाम को नंदोत्सव के तौर पर लट्ठे का मेला आयोजित होता है. जानकारी के मुताबिक, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर करीब 40 फीट का खम्बा स्थापित किया जाता है. स्थापना के पश्चात उस खंबे को पूर्णतः तेल में नहलाया जाता है जिससे उसपर चढ़ने वाले पहलवान आसानी से चढ़ सकें.  

इसके अतिरिक्त, खंबे के शिकार को मचान बनाया जाता है जिससे उस पर रखे जाने वाले बर्तनों में तेल-पानी और हल्दी का मिश्रण रखा जा सके. नीचे से अंतरयामी अखाड़े के पहलवान खंभे पर चिपकते हुए एक के ऊपर एक चढ़ते जाते हैं और ऊपर मचान से मंदिर कर्मचारी द्वारा मिश्रण को खंभे पर डाला जाता है, जिससे पहलवानों को नीचे गिराया जा सके. यह एक तरह का खेल होता है जिसमें पहलवानों को 7 मौके खंबे पर चढ़ने के मिलते हैं. अगर पहलवान जीत जाते हैं, तो ठाकुरजी का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रसादी उपहार स्वरूप भेंट की जाती है.