Janeu Dharan Ke Niyam: जीवन में कभी नहीं होगी बुरी शक्तियों से परेशानी, जानें जनेऊ पहनने के सही नियम

Janeu Dharan Ke Niyam: जनेऊ, जिसे यज्ञोपवीत भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र सूत्र है जो पुरुषों द्वारा धारण किया जाता है. जनेऊ तीन सूतों से बना होता है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक हैं. इसे बाएं कंधे से दायीं कमर तक पहना जाता है.

Janeu Dharan Ke Niyam: जनेऊ, जिसे यज्ञोपवीत भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र सूत्र है जो पुरुषों द्वारा धारण किया जाता है. जनेऊ तीन सूतों से बना होता है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक हैं. इसे बाएं कंधे से दायीं कमर तक पहना जाता है.

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Inna Khosla
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Janeu Dharan Ke Niyam

Janeu Dharan Ke Niyam( Photo Credit : Social Media)

Janeu Dharan Ke Niyam: जनेऊ जिसे यज्ञोपवीत भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र सूत्र है जो पुरुषों द्वारा धारण किया जाता है. यह संस्कार (उपनायन संस्कार) के दौरान पहनाया जाता है, जो आमतौर पर 8 से 16 वर्ष की आयु के बीच किया जाता है. जनेऊ को तीन सूत्रों से बनाया जाता है, जो त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का प्रतीक हैं. यह ज्ञान, शुद्धता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है. जनेऊ धारण करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए, आइए जानें.जनेऊ जिसे यज्ञोपवीत भी कहा जाता है

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जनेऊ धारण करने के नियम

1. स्वच्छता:

जनेऊ धारण करने से पहले स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए.
वस्त्र भी स्वच्छ और धोए हुए होने चाहिए.
जनेऊ को धारण करने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए.
2. दिशा:

जनेऊ को सूर्योदय के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके धारण करना चाहिए.
जनेऊ को धारण करते समय बैठने की मुद्रा भी महत्वपूर्ण है.
3. मंत्र:

जनेऊ धारण करते समय मंत्रों का जाप करना चाहिए.
इन मंत्रों में जनेऊ के महत्व और इसके धारण करने के नियमों का उल्लेख होता है.

4. धारण करने की विधि:

जनेऊ को बाएं कंधे से दाहिने कूल्हे तक लपेटना चाहिए.
मध्य सूत्र को नाभि के पास रखना चाहिए, जबकि अन्य दो सूत्र छाती और पीठ पर लटकने चाहिए.
जनेऊ को गांठ नहीं बांधना चाहिए.

5. नियमितता:

जनेऊ को प्रतिदिन स्नान के बाद धारण करना चाहिए.
यदि जनेऊ टूट जाता है या गंदा हो जाता है, तो उसे बदल देना चाहिए.
6. अन्य नियम:

जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को मांस, मदिरा और अन्य मादक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.
उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और सत्य बोलना चाहिए.
उन्हें गायों की रक्षा करनी चाहिए और दीन-दुखियों की मदद करनी चाहिए.
जनेऊ धारण करना केवल एक बाहरी प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक प्रतिबद्धता भी है. जनेऊ धारण करने वाला व्यक्ति को इन नियमों का पालन करके अपने जीवन को धर्म और सदाचार के मार्ग पर चलना चाहिए.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये नियम केवल मार्गदर्शन के लिए हैं. विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों में जनेऊ धारण करने के लिए थोड़े भिन्न नियम हो सकते हैं. यदि आप जनेऊ धारण करने के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आपको किसी विद्वान ब्राह्मण या धार्मिक गुरु से सलाह लेनी चाहिए.

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Source : News Nation Bureau

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