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Janaki Jayanti 2024: 4 मार्च को है सीता जयंती व्रत, जानें किस तरह प्राप्त हुई जानकी

Janaki Jayanti 2024: जानकी जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो देवी सीता के जन्म के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.

Updated on: 04 Mar 2024, 07:16 AM

नई दिल्ली:

Janaki Jayanti 2024: हिंदू धर्म में जानकी जयंती एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. पंचांग के अनुसार, जानकी जयंती का पर्व हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भक्त देवी सीता की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं. इसके साथ ही मंदिरों को फूलों और दीयों से सजाया जाता है और विशेष भोग लगाया जाता है.  इसके अलावा इस दिन भक्त देवी सीता के भजन गाते हैं और कुछ लोग दान भी करते हैं. जानकी जयंती का त्योहार हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सत्य और धर्म का पालन करना चाहिए, चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हों. आइए जानते हैं कब मनाई जाएगी जानकी जयंती साथ ही जानिए इसका धार्मिक महत्व. 

जानकी जयंती तिथि

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 3 मार्च 2024 को सुबह 08 बजकर 44 मिनट से और इसका समापन अगले दिन यानि 4 मार्च 2024 को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर होगी. इस दिन मां सीता की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 38 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 05 मिनट तक है. ऐसे में इस बार जानकी जयंती 4 मार्च को मनाई जाएगी. 

जानकी जयंती का धार्मिक महत्व

जानकी जयंती का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व देवी सीता के जन्म का जश्न मनाना है.  देवी सीता को भगवान राम की पत्नी और देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है.  देवी सीता सत्य और धर्म का प्रतीक हैं.  उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हमेशा सत्य और धर्म का पालन किया. यह त्योहार देवी सीता के प्रति भक्ति और सम्मान व्यक्त करने का एक अवसर है. जानकी जयंती बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है. देवी सीता ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अंत में उन्होंने बुराई पर विजय प्राप्त की.

किस तरह प्राप्त हुई माता जानकी?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब मिथिला नरेश राजा जनक के राज्य में अकाल पड़ा था तो उस दौरान इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए राजा जनक ने अपने गुरु के कहे अनुसार एक सोने का हल बनवाया. उसके बाद इससे भूमि जोतने का काम शुरू किया. तब उन्हें भूमि जोतने के दौरान एक मिट्‌टी के बर्तन में कन्या मिली. मान्यताओं के अनुसार जोती हुई भूमि और हल की नोक को सीत कहा जाता है, इसलिए उसका नाम सीता रखा गया. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)