जो स्थिति आती है उसका जाना भी निश्चित, देशवासी धैर्य रखें : जगतगुरु शंकराचार्य
जो स्थिति आती है, उसका जाना भी निश्चित है. देशवासी धैर्य रखना चाहिए यह स्थिति अनंतकाल तक नही चलेगी. इसका अन्त निश्चित है. देशवासियो को लिखे अपने पत्र में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सरूपानंद जी महाराज ने यह बात कही है.
नई दिल्ली:
"जो स्थिति आती है, उसका जाना भी निश्चित है. देशवासी धैर्य रखना चाहिए यह स्थिति अनंतकाल तक नही चलेगी. इसका अन्त निश्चित है." देशवासियो को लिखे अपने पत्र में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने यह बात कही है. जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि "शरीर माद्यं खलु धर्मसाधनम " धर्म रूपी साध्य को पाने का मानव रूपी शरीर ही सबसे बड़ा साधन है. इस उक्ति से मानव शरीर की दुर्लभता का पता चलता हे. हमारे आयुर्वेदादि शास्त्र शरीर के निरोग रहने के असंख्य उपाय बताते हैं और अंत में यह भी कहते है कि औषध का अभाव हो तो विष्णुशाहस्त्रनाम का पाठ ही औषधि है. इसी तरह गंगाजल और गव्यादि को भी परम औषध माना गया है. मानव शरीर ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है इसलिए कोई धार्मिक व्यक्ति इसको क्षति पहुंचाने का कार्य नही कर सकता. यह सामान्य नियम है. मानवता ल दुश्मन कभी ईश्वर का प्रिय नही हो सकता.
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जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा है कि आज विश्वव्यापी कोविड-19 महाव्याधि बनकर मंडरा रहा है. जो कि औषध रूपी हथियार के अभाव में अपराजेय है. जब कोई उपाय न हो तो धैर्य ही काम आता है. भारतवासियों ने इस व्याधि को अपने धैर्य और अनुशासन से असरहीन किया है,जिसको आज सम्पूर्ण विश्व मे आदर की दृष्टि से देखा जा रहा है. हमारे यहां रोग आगन्तुक है, विकार है, जबकि स्वास्थ हमारी आत्मा ही है.और आत्मप्रदीप की वायु से रक्षा करना साधक का तप है.
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जगतगुरु शंकराचार्य जी ने कहा है कि इस आपातकाल में समस्त देशवासियो से आव्हान है कि आप कमर कसकर इस महारोग से उत्पन्न विपत्ति का सामना करते हुए अगर सामर्थ हो तो विपन्न लोगो की सहायता करें. इस विपत्ति के पूर्ण से नियंत्रित होने में अभी न जाने कितना समय लगे और समस्या के निवारण के बाद भी देश को पटरी पर आने में कितना समय लगे. इस नवागंतुक समस्या को मानसिक रूप से एक जुट होकर एवं शारीरिक रूप से दूरी बनाकर दूर भगाना है. उक्त बातों का हम दृढ़तापूर्वक पालन कर रहे हैं.
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