Jagannath Temple Bhog: दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में बनता है भगवान जगन्नाथ पुरी के लिए 56 भोग का महाप्रसाद
Jagannath Temple Bhog: उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का मंदिर चमत्कारी मंदिर है. ऐसे कई रहस्य हैं जिनके बारे में वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए. दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में बनने वाले भोग से जुड़े रहस्यों के बारे में जानिए
नई दिल्ली:
Jagannath Temple Bhog: भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के बाद 56 भोग का महाप्रसाद खाने के लिए देश विदेश से लाखो भक्तगण हर साल यहां आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में बनने वाले इस प्रसाद को महाप्रसाद क्यों कहते हैं. उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद के बारे में एक कहानी है. कहते हैं कि एक बार महाप्रभु वल्लभाचार्य एकादशी व्रत के दिन जगन्नाथ मंदिर पहुंचे. व्रत के दिन वहां वल्लभाचार्य को किसी ने प्रसाद दिया. वल्लभाचार्य ने वो प्रसाद लिया और उन्होंने स्तवन करते हुए दिन के बाद रात भी बिता दी। अगले दिन द्वादशी को स्तवन समाप्त होने पर उन्होंने प्रसाद को ग्रहण किया. जिसके बाद 'प्रसाद' को 'महाप्रसाद' का गौरव प्राप्त हुआ.
इसे दुनिया की सबसे बड़ी रसोई क्यों कहते हैं
उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ पुरी की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है इसमें मिट्टी और ईंट से बने 240 चूल्हे हैं. 500 रसोइए 300 सहयोगियों के साथ मिलकर लाखों लोगों के लिए 56 भोग बनाते हैं. हर चूल्हे पर 9 बर्तन एक के ऊपर एक रखकर खाना पकाया जाता है. नंबर 9 नवग्रह, 9 अनाज और 9 दुर्गाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है. इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है.
एक दिन में कितने लोगों के लिए बनता है प्रसाद
कहा जाता है कि मंदिर में प्रतिदिन प्रसाद 20 हजार लोगों के लिए ही बनाया जाता है लेकिन त्योहार वाले दिन 50 हजार लोगों के लिए बनाया जाता है लेकिन कहा जाता है कि यदि किसी दिन लाखों लोग भी आ जाए तो भी वह प्रसाद ग्रहण करके ही जाते हैं.
भोग का प्रसाद किस चमत्कारी कुएं के पानी से बनाते हैं
भगवान के भोग को मंदिर के पास 2 कुओं के पानी से ही तैयार किया जाता है जिसका नाम है गंगा-जमुना.
प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले किसे भोग लगाते हैं
जब खाना तैयार हो जाता है तब यहां पर विमलादेवी नाम से माता पार्वती का एक मंदिर है. महाप्रसाद बनने के बाद सबसे पहले माता पार्वतीजी को भोग लगाया जाता है इसी के बाद भगवान जगन्नाथ को भोग चढ़ता है. ऐसी मान्यता है कि एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान की इच्छा से ही नारदमुनि को यह प्रासाद भगवान की अनुपस्थि में दे दिया था. तभी से यह परंपरा है कि भगवान के समक्ष भोग ग्रहण नहीं किया जाए.
तो 56 भोग से जुड़ी इस जानकारी के बाद अब आप जब भी भगवान जगन्नाथ पुरी के दर्शन करने जाएंगे तो महाप्रसाद ग्रहण करते समय इन बातों का ध्यान जरूर करेंगे...
इसी तरह की और स्टोरी पढ़ने के लिए न्यूज़ नेशन पर आप हमारे साथ यूं ही जुड़े रहिए.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
SRH vs RR Pitch Report : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी हैदराबाद की पिच
-
T20 World Cup 2024 टीम में नहीं मिला SRH और LSG के एक भी खिलाड़ी को मौका, IPL के इस टीम का दबदबा
-
CSK vs PBKS Dream11 Prediction : चेन्नई और पंजाब के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुने कप्तान
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Ganga Dussehra 2024: इस साल गंगा दशहरा पर बन रहा है दुर्लभ योग, इस शुभ मुहूर्त में स्नान करें
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीय के दिन करें ये उपाय, चुम्बक की तरह खिंचा चला आएगा धन!
-
May 2024 Panchak: आज से शुरू हुआ है गुरू पंचक, अगले 5 दिन ना करें कोई शुभ काम
-
Love Rashifal 2 May 2024: प्रेम और वैवाहिक जीवन के लिए कैसा रहेगा गुरुवार का दिन, पढ़ें लव राशिफल