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Jagannath Rath Yatra 2023 : पुरी से लेकर अहमदाबाद तक भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की धूम

Jagannath Rath Yatra 2023 : हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर जाते हैं.

Updated on: 20 Jun 2023, 02:19 PM

नई दिल्ली :

Jagannath Rath Yatra 2023 : आज पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जा रही है. वहीं सीएम भूपेंद्रबाई पटेल ने पहिंद विधि करके रथ यात्रा की शुरुआत कर दी है. बता दें, केंद्रिय मंत्री अमित शाह ने सपरिवार मंगला आरती भी की. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर सभो को रथ यात्रा की बधाई दी है. भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की धूम सिर्फ ओडिशा में ही नहीं बल्कि गुजरात में भी है. गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथयात्रा निकाली गई. जिसमें भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र रथ में सवार में होकर नगर भ्रमण करने निकले हैं.

ओडिशा के पुरी के बाद बेहद भव्य तरीके से रथयात्रा का आयोजन गुजरात के अहमदाबाद में ही होता नजर आया. केंद्रिय मंत्री अमित शाह सपरिवार के साथ मंगला आरती  करते हुए नजर आए. 

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वहीं नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट के जरीए लोगों को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि " रथ यात्रा की सभी को ढेर सारी बधाई. जैसा कि हम इस पवित्र अवसर को मनाते हैं, भगवान जगन्नाथ की ये दिव्य यात्रा हमारे जीवन को स्वास्थ्य, खुशी और आध्यात्मिक समृद्धि से भर दें और सभी के जीवन में खुशहाली आए. 

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रथयात्रा  के किए गए है कड़े इंतजाम 
रथयात्रा को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस बार पुलिस ने एंटी ड्रोन टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है. वहीं अहमदाबाद के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरा भी लगाए गए हैं. 

 

जानें क्यों होता है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन?

हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. इस दिन इन्हें तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर जाते हैं. पहले भाई बलभद्र फिर छोटी बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के जरिए उनकी मौसी के घर यानी गुंडीचा मंदिर में ले जाया जाता है. 

ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस रथ यात्रा में शामिल होकर जगन्नाथ जी के रथ को खींचते है, उन्हें 100 यज्ञों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इस यात्रा में शामिल होने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही भक्तों को शिवलोक की प्राप्ति होती है.