Sri krishna janmashtami 2018: जानिए इस्कॉन (ISKCON) मंदिर का इतिहास, कब बनकर तैयार हुआ था पहला मंदिर
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन के मंदिर देश विदेश में कई जगह है। इस मंदिर का नाम एक विशेष अंग्रेजी भाषा के शब्दों को बनाकर किया गया है।
नई दिल्ली:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन के मंदिर देश विदेश में कई जगह है। इस मंदिर का नाम एक विशेष अंग्रेजी भाषा के शब्दों को बनाकर किया गया है। इस मंदिर को इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कांशसनेस International Society for Krishna Consciousness (ISKCON) भी कहते हैं। इस्कॉन को 'हरे कृष्ण आंदोलन' के नाम से भी जाना जाता है।
इस अध्यात्मिक संस्थान की स्थापना श्रीकृष्णकृपा श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने 1966 में न्यूयॉर्क में की थी। इस्कॉन के जो तत्व है उनका आधार 5000 साल पहले हुए भगवद्गीता पर आधारित है।
न्यूयॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा शीघ्र ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश हरे रामा-हरे कृष्णा के पावन भजन से गुंजायमान होने लगे।
अपने साधारण नियम और सभी जाति-धर्म के प्रति समभाव के चलते इस मंदिर के अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर वह व्यक्ति जो कृष्ण में लीन होना चाहता है, उनका यह मंदिर स्वागत करता है।
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स्वामी प्रभुपादजी के अथक प्रयासों के कारण दस वर्ष के अल्प समय में ही समूचे विश्व में 107 से ज्यादा मंदिरों का निर्माण हो चुका था। इस समय इस्कॉन समूह के लगभग 850 से अधिक मंदिरों की स्थापना हो चुकी है।
इस्कॉन के संस्थापक प्रभुपद पुरे भारत में भगवान श्री कृष्ण के मंदिर बनवाना चाहते थे। इसीलिए दिल्ली में जो इस्कॉन का मंदिर बनाया गया उसका असली नाम श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर है और इसकी स्थापना 1995 में की गयी थी ताकी भक्त को सीधा भगवान कृष्ण के साथ जोड़ा जा सके।
यह मंदिर नई दिल्ली के दक्षिण में स्थित है। इस इस्कॉन मंदिर में कृष्ण भगवान के मंदिर अलावा भी तीन और मंदिर हैं और वो करीब 90 फीट ऊंचे है। वो तीन मंदिर राधा-कृष्ण, सीता-राम और गौरा-निताई के मंदिर है। मंदिर को बाहर के हिस्से में बड़ी सुन्दरता से बनाया गया है साथ ही मंदिर के भीतर भगवान कृष्ण के जीवन की घटनाओ को बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया है। इस मंदिर के परिक्रमा परिसर में इस्कॉन मंदिर की अलग अलग चित्र लगाये हुए है।
इस मंदिर में जन्माष्टमी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हर साल करीब 8 लाख भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आते है और अपने मन की बात भगवान से साझा करते है। त्यौहार के दिन सुबह 4:30 बजे से उत्साह की शुरुआत होती है और देर रात तक चलता है।
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इस मौके पर बड़ी शोभायात्रा निकाली जाती है, लोग भगवान की विशेष के पूजा करवाते है, कई सारे सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता। इस त्यौहार के दिन भगवान कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है।
भारत में सबसे प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिरों में दिल्ली, असम, वृंदावन, कोलकाता और बैंगलोर में बने हुए हैं।
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