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Indira Ekadashi 2022 Tithi, Shubh Muhurt aur Mahatva: पितरों के उद्धार के लिए आ रही है इंदिरा एकादशी, इस शुभ मुहूर्त में की गई पूजा से आपको भी होगा अचंभित लाभ

Indira Ekadashi 2022 Tithi, Shubh Muhurt aur Mahatva: इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022, दिन बुधवार को रखा जाएगा. पितृपक्ष के दौरान पड़ने के कारण इस एकादशी पर श्री हरी विष्णु की कृपा से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

Updated on: 19 Sep 2022, 11:38 AM

नई दिल्ली :

Indira Ekadashi 2022 Tithi, Shubh Muhurt aur Mahatva: हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022, दिन बुधवार को रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है. पितृपक्ष के दौरान पड़ने के कारण इस एकादशी पर श्री हरी विष्णु की कृपा से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि जो लोग हर तरह के कष्टों से छुटकारा पाकर सुख-समृद्धि और मृत्यु के बाद मोक्ष चाहते हैं, उन्हें इस व्रत को जरूर रखना चाहिए. ऐसे में चलिए जानते हैं इंदिरा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में. 

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इंदिरा एकादशी 2022 तिथि (Indira Ekadashi 2022 Tithi) 
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 सितंबर, मंगलवार को रात 9 बजकर 26 मिनट पर आरंभ हो रही है जो अगले दिन 21 सितंबर, बुधवार को रात 11 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर, को रखा जाएगा.

इंदिरा एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi 2022 Shubh Muhurt) 
इंदिरा एकादशी व्रत रखने के साथ ही विधिवत भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसे में ज्योतिष गणना के अनुसार, 21 सितंबर को सुबह 6 बजकर 9 मिनट से सुबह 9 बजकर 11 मिनट के बीच भगवान विष्णु का पूजन करना सबसे शुभ माना जा रहा है. इसके अलावा, सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 14 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है. इसके साथ ही इंदिरा एकादशी के दिन शिव योग भी लग रहा है. इस दिन शिव योग सुबह 9 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा.

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इंदिरा एकादशी 2022 महत्व (Indira Ekadashi 2022 Mahatva)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, इंदिरा एकादशी पर व्रत और पूजा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत में दान का भी विशेष महत्व है. पूरे साल में सिर्फ एक बार ही श्राद्ध पक्ष के दौरान एकादशी का संयोग बनता है, जिसके चलते इस एकादशी का महत्व कई अधिक बढ़ जाता है. पितर अपने वंशजों से आशा करते हैं कि वे इस एकादशी पर व्रत-पूजा करें ताकि उसके शुभ फल उन्हें मिल सके और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो.

ग्रंथों के अनुसार इंदिरा एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को पूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है और व्रत करने वाले को बैकुण्ठ प्राप्ति होती है. पद्म पुराण के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत रखने के साथ ही दान करना भी पुण्यकारी माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, जितना पुण्य कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से मिलता है, उतना पुण्य इंदिरा एकादशी पर दान करने से प्राप्त हो जाता है. 

इस दिन घी, दूध, दही और अन्न दान करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है. ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते हैं और धन लाभ के योग भी बनते हैं. वहीं, इंदिरा एकादशी पर पितरों के श्राद्ध का भी विशेष महत्व है. इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध जरूर करना चाहिए. श्राद्ध कर्म दोपहर में करना चाहिए. अगर विधि-विधान से श्राद्ध न कर पाएं तो जलते हुए कंडे पर गुड़-घी, खीर-पुड़ी अर्पित करके धूप दे सकते हैं. अगर ये भी संभव न हो तो जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए.