Sadhguru Sanatan Dharma: क्या हिंदू समाज जाग रहा है या अभी भी अचेत अवस्था में है इसे लेकर एक इवेंट में सद्गुरु से कुछ सवाल किए गए. उनसे पूछा गया कि सद्गुरु क्या आपको लगता है कि हिंदू समाज जाग रहा है या यह अब भी एक गहरे भ्रम और अज्ञान में उलझा हुआ है. क्या हम अपने चारों ओर मौजूद भू-राजनीतिक, धार्मिक, और रणनीतिक खतरों से अनजान हैं. क्या पुनर्जागरण संभव है. ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब में उन्होने हिंदुत्व और सनातन धर्म के बारे में कुछ ऐसी बातें बतायी जो सबकी आंखे खोल देंगी.
सद्गुरु ने कहा, मुझे नहीं लगता कि वर्तमान में कोई वास्तविक पुनर्जागरण हो रहा है लेकिन भारत जरूर जाग रहा है. हालांकि अभी भी हमारे "आंखों में कीचड़" है. हम जाग रहे हैं लेकिन इसे साफ करने में समय लगेगा. हमारी पीढ़ी के लोग अब भी यह विश्वास नहीं कर पा रहे कि जो हो रहा है वह सच में हो रहा है. सनातन बनाम हिंदू शब्द की व्याख्या भी इन्होने इस इंटरव्यू में दी. उन्होने कहा हिंदू शब्द को लेकर अक्सर गलतफहमियां होती हैं. हिंदुत्व को गाय-पूजा या सांप-पूजा के रूप में देखा जाता है. सद्गुरु का मानना है कि सनातन शब्द अधिक उपयुक्त है क्योंकि इसका अर्थ है शाश्वत. कुछ भी तब तक शाश्वत नहीं हो सकता जब तक वह समावेशी न हो. कोई भी विचारधारा या दर्शन तब तक शाश्वत नहीं हो सकता जब तक वह सृष्टि के साथ सामंजस्य में न हो. सनातन धर्म का यही सार है.
इतिहास की अनदेखी और सीख
हमारे इतिहास में कई कष्टदायक घटनाएं हुईं बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को जलाकर 90 लाख किताबें नष्ट कर दीं. टीपू सुल्तान ने लाखों हिंदुओं का धर्मांतरण कराया और क्रूरतम अत्याचार किए. कई शहरों और सड़कों के नाम इन आक्रमणकारियों के नाम पर रखे गए हैं जो हमारी सांस्कृतिक पहचान पर सवाल खड़े करते हैं.
सद्गुरु का मत
हम क्यों ऐसे लोगों का सम्मान करते हैं जिन्होंने हमारी सभ्यता और धर्म को नष्ट करने का प्रयास किया? जैसे हम हिटलर नगर या ईदी अमीन पुरम नहीं बना सकते, वैसे ही इन आक्रमणकारियों के नाम पर शहर और सड़कें नहीं होनी चाहिए. यह समय है कि हमारे चुने हुए नेता समझदारी दिखाएं और हमारी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करें. इतिहास से सीख लेकर हमें अपने भविष्य का निर्माण करना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)