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टीएमसी सांसद नुसरत जहां सिंदूर लगा कर पहुंची संसद में
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सिंदूर सिर्फ किसी हिंदू शादी-शुदा महिला के लिए श्रंगार का एक तरीका भर नहीं है. सिंदूर की न सिर्फ धार्मिक-सामाजिक मान्यताएं हैं, बल्कि इसका अपना वैज्ञानिक महत्व भी है.
टीएमसी सांसद नुसरत जहां सिंदूर लगा कर पहुंची संसद में
किसी ने सही ही कहा है कि बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा? इसे तृणमूल सांसद नुसरत जहां से बेहतर भला और कौन समझ सकता है. सांसद बनने पर पहली बार संसद पहुंची नुसरत जहां को उनकी भड़कीली ड्रेस में सेल्फी को लेकर जमकर ट्रोल किया गया था. अब इन्हीं नुसरत जहां को मांग में सिंदूर, हाथ में मेहंदी, लाल चूड़ा और साड़ी पहन कर संसद पहुंचने पर फिर से ट्रोल किया गया. कहा गया कि उन्होंने निखिल जैन से शादी के बाद अपना धर्म बदल लिया है. लोगों को सबसे ज्यादा आपत्ति उनके मांग में सिंदूर लगाने को लेकर थी.
हालांकि नुसरत जहां ने अपने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला है, लेकिन पति के घर के रीति-रिवाजों का अनुसरण करते हुए उन्होंने मांग में सिंदूर भरा है. गौरतलब है कि सिंदूर को भले ही शादी-शुदा हिंदू महिला से जोड़ दिया गया हो, लेकिन यह सिर्फ किसी हिंदू शादी-शुदा महिला के लिए श्रंगार का एक तरीका भर नहीं है. सिंदूर की न सिर्फ धार्मिक-सामाजिक मान्यताएं हैं, बल्कि इसका अपना वैज्ञानिक महत्व भी है. गौरतलब है कि हिंदी फिल्म जगत की खूबसूरत अभिनेत्री रेखा भी मांग में सिंदूर भरती हैं, जबकि वे शादी-शुदा नहीं हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर सिंदूर से क्या-क्या मान्यताएं जुड़ी हैं.
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सीताजी से जुड़ा है सिंदूर का प्रसंग
सिंदूर को हिंदू शादी-शुदा महिलाओं या कहें सुहागिनों के 16 श्रंगार में से एक माना जाता है. मोटे तौर पर हिंदू शादी-शुदा महिला अपने पति की लंबी उम्र का कामना के लिए ही मांग में सिंदूर भरती है. लेकिन इसकी धार्मिक मान्यताएं सतयुग में रामायण काल से जुड़ी हैं. कहते हैं कि सीताजी हर रोज मांग में सिंदूर भरती थीं. यह देख राम भक्त हनुमानजी ने इसका कारण जानना चाहा, तो उन्होंने जवाब दिया कि मांग में सिंदूर लगाने से पति की उम्र बढ़ती है. यह सुनकर हनुमानजी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लपेटना शुरू कर दिया. बस, तभी से हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाया जाने लगा. साथ ही महिलाएं भी मांग में सिंदूर भरने लगीं
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शक्ति प्रतीक पार्वतीजी का है आशीर्वाद
प्राचीन ज्योतिष विधाओं में एक नाम सामुद्रिक शास्त्र का भी है. इसमें कहा गया है कि दोष निवारण के लिए महिलाएं मांग में सिंदूर भर सकती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सिंदूर का लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक है, जो सीधे तौर पर पार्वती जी से ऊर्जा स्रोत को जोड़ता है. इस कारण सिंदूर लगाने से मां पार्वती भी प्रसन्न होती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं.
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घर में लाए समृ्द्धि और सुख-शांति
अगर आपने गौर किया होगा तो हिंदू पूजा विधि में महिलाएं अक्सर लक्ष्मीजी या अन्य किसी देवी का सिंदूर लगाकर ही पूजन-अर्चन करती हैं. कहते हैं कि माता लक्ष्मी को भी सिंदूर बहुत प्रिय है. पौराणिक कथाओं में लक्ष्मीजी के निवास के जो पांच स्थान बताए गए हैं, उसमें पहला स्थान किसी स्त्री का सिर है, जहां पर सिंदूर लगाया जाता है. सिंदूर के प्रभाव से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि लक्ष्मीजी का सम्मान करने के लिए ही घर-परिवारों में लड़कियों का अपमान नहीं करने की सलाह दी जाती है.
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सिंदूर मस्तिष्क के रोगों को रखता है दूर
चिकित्सकीय शास्त्र के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं के सिर की मांग वाला हिस्सा अधिक संवेदनशील और मुलायम होता है. सिंदूर में पारा होता है, जिससे शरीर की विद्युतीय ऊर्जा नियंत्रित होती है. सिंदूर के प्रभाव से नकारात्मक शक्तियां भी दूर रहती हैं. साथ ही सिरदर्द, अनिद्रा और मस्तिष्क से जुड़े अन्य रोग भी दूर रहते हैं. इसीलिए इन गुणों के कारण भी महिलाओं को शादी के बाद सिंदूर लगाने की सलाह दी जाती है. यही नहीं, पारा उम्र संबंधी लक्षणों को भी रोकने का काम करता है. यानी चेहरे पर आने वाली झुर्रियों को रोकता है.
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