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Sanatan Dharm: हिंदू धर्म में घंटी बजाने का क्या है महत्व, जानें इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Sanatan Dharm: सनातन धर्म में पूजा-पाठ के दौरान घंटी बजाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. साथ ही मंदिर में प्रवेश से पहले और पूजा के दौरान भी घंटी बजाई जाती है.

Updated on: 21 Mar 2024, 02:33 PM

नई दिल्ली :

Sanatan Dharm: हिंदू धर्म में घंटी का विशेष महत्व है. यह पूजा-पाठ, आरती, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का एक अभिन्न अंग है. घंटी बजाने के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं. घंटी की ध्वनि पूजा के समय मंदिर और पूजा स्थलों में उच्च मान्यता और सामर्थ्य का प्रतीक होती है. पूजा की घंटी की ध्वनि से देवी-देवताओं का सम्मान किया जाता है. घंटी बजाने से पूजा के समय देवी-देवताओं को आह्वानित किया जाता है और उनका स्वागत किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घंटी बजाने का महत्व उपासना, पूजा, ध्यान और समय की सूचना में स्थान बनाता है. यह धार्मिक आदत और सम्प्रदाय का हिस्सा है जो धार्मिक संवेदना को स्थापित और सुदृढ़ बनाता है.

धार्मिक कारण: देवताओं का ध्यान आकर्षित करते हैं. घंटी की आवाज देवताओं का ध्यान आकर्षित करती है और उन्हें भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनने के लिए प्रेरित करती है. नकारात्मक ऊर्जा को दूर की जा सकती है. घंटी की आवाज नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और वातावरण को शुद्ध करती है. घंटी की आवाज एकाग्रता बढ़ाने और मन को शांत करने में मदद करती है. घंटी की आवाज भक्ति भावना को बढ़ाने और भक्तों को देवताओं के प्रति समर्पित करने में मदद करती है.

वैज्ञानिक कारण: घंटी की आवाज ध्वनि चिकित्सा का एक रूप है. यह तनाव, चिंता, और अवसाद को कम करने में मदद करती है. इससे रक्त परिसंचरण में सुधार करती है और शरीर को ऊर्जावान बनाती है. घंटी की आवाज मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है और एकाग्रता और स्मृति शक्ति को बढ़ाती है. 

हिंदू धर्म में घंटी बजाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है. यह भक्तों को देवताओं के प्रति समर्पित करने, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने, और मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है. घंटी को हमेशा साफ हाथों से बजाना चाहिए. इसे बजाते समय ध्यान केंद्रित करना चाहिए और मन में भगवान का ध्यान करना चाहिए. घंटी को बजाने की दिशा भी महत्वपूर्ण है. आमतौर पर, घंटी को पूर्व या उत्तर दिशा में बजाया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)