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Ayurvedic Importance of Makar Sankranti:  मकर संक्रांति का आयुर्वेदिक महत्व क्या है, जानें क्यों खाते हैं तिल और गुड़

Ayurvedic Importance of Makar Sankranti: मकर संक्रांति पर तिल गुड़ खाना या गंगाजल और काले तिल डालकर स्नान करना अगर आपके धार्मिक है तो जान लें कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं.

Updated on: 14 Jan 2024, 11:04 AM

New Delhi :

Importance of Ayurveda on Makar Sankranti: मकर संक्रांति का आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है और इस दिन को आयुर्वेदिक सांस्कृतिक तंत्रों में महत्वपूर्ण रूप से दृश्यमान माना जाता है. इस समय पर आयुर्वेद में विभिन्न रिटुअल्स, आहार-विहार, और आयुर्वेदिक उपचार की सलाहें दी जाती हैं जो स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सही मानी जाती हैं. अगर आप ये सोचते हैं कि मकर संक्रांति के दिन तिल डालकर नहाने का धार्मिक महत्व है या फिर खिचड़ी खाना या फिर तिल गुड़ खाना धार्मिक महत्व है तो इससे भी ज्यादा इसका आयुर्वेदिक महत्व है. वैज्ञानिक कारणों से मकर संक्रांति को इस तरह मनाने की परंपरा है. 

गर्म पानी पीने का महत्व: मकर संक्रांति के दिन, आयुर्वेद शास्त्र गर्म पानी पीने का सुझाव देता है.गर्म पानी पीने से शरीर के अंदर की शोधना होती है और शीतलता मिलती है, जिससे शरीर की ऊर्जा बनी रहती है.

तिल के तेल का उपयोग: आयुर्वेद में मकर संक्रांति के दिन तिल के तेल का उपयोग करने की सिफारिश की जाती है.यह त्वचा के लिए फायदेमंद होता है और शीतलता प्रदान करता है.

आयुर्वेदिक आहार: मकर संक्रांति पर आयुर्वेद आहार में परिवर्तन करने की सिफारिश करता है. इस समय पर सैकड़ों प्रकार के गरम खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सिफारिश की जाती है जो शरीर को गरमी प्रदान कर सकते हैं.

योग और प्राणायाम: आयुर्वेद में मकर संक्रांति को नए ऊर्जा के प्रारंभ का समय माना जाता है.इसलिए, योग और प्राणायाम का अभ्यास करने का सुझाव दिया जाता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है.

मकर संक्रांति का आर्युर्वेदिक दृष्टिकोण स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए कई सुझाव देता है. यह एक संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रेरित करने का एक शुभ मौका है. 

तिल गुड़ खाने का महत्व 

आयुर्वेद में तिल और गुड़ को एक स्वास्थ्यप्रद आहार माना जाता है, और इसका नियमित सेवन कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है. मकर संक्रांति ऐसे समय आता है जब मौसम में बड़ा बदलाव आता है. ऐसे में शरीर को रोग प्रतिरोधक बनाने के लिए आयुर्वेद में इसकी सलाह दी गयी है. आइए जानते हैं इसका क्या लाभ है.

ऊर्जा स्तर को बढ़ावा: तिल और गुड़ में फाइबर, प्रोटीन, और अन्य पोषण सामग्री होती हैं, जो ऊर्जा स्तर को बढ़ा सकती हैं और थकान को दूर कर सकती हैं.

शरीर की गर्मी बनाए रखना: तिल और गुड़ गरम तासीर वाले होते हैं और इसलिए शरीर को गरम बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे सर्दी-जुकाम और ठंडे मौसम में लाभ हो सकता है.

हेमोग्लोबिन को बढ़ावा: तिल में आयरन की अच्छी मात्रा होती है जो हेमोग्लोबिन को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है, जिससे खून की कमी और अन्य रक्त संबंधित समस्याओं को दूर किया जा सकता है.

आपातकालीन सिटुएशन्स में उपयोगी: तिल और गुड़ में आपातकालीन स्थितियों में शीघ्र ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होती है, जिससे यह शरीर को ताकत और स्थैर्य प्रदान कर सकते हैं.

पाचन को सुधारना: तिल और गुड़ का सेवन पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है और अच्छे आहार को पचाने में सहायक हो सकता है.

स्त्रीरोगों में लाभकारी: गुड़ में उपस्थित ऑक्सीडेंटल एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा कई रोगों से लड़ने में मदद कर सकती है, विशेषकर स्त्रीरोगों में.

निद्रा सुधारना: तिल और गुड़ में पाया जाने वाला मैग्नीशियम निद्रा को सुधारने में मदद कर सकता है, जिससे अच्छी नींद मिल सकती है.

तिल और गुड़ खाने का सेवन योग्य मात्रा में और संतुलित तरीके से करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन किसी भी नए आहार को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)