logo-image

Navratri 2019 6th Day: विवाह में आ रही दिक्‍कत तो इस विधि से करें मां कात्‍यायनी (Maa Katyayani) की पूजा

देवी पार्वती ने यह रूप महिषासुर का वध करने के लिए धारण किया. देवी कात्यायनी सिंह (Maa Katyayani) की सवारी करती हैं.

नई दिल्‍ली:

नवरात्रि (Navaratri 2019) के छठे दिन 4 अक्टूबर 2019 दिन शुक्रवार को षष्ठी तिथि है और इस दिन मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा होगी. देवी पार्वती ने यह रूप महिषासुर का वध करने के लिए धारण किया. देवी कात्यायनी सिंह (Maa Katyayani) की सवारी करती हैं. उनके चार हाथ हैं, दाहिने दोनों हाथों में से एक अभय मुद्रा व दूसरा वरद मुद्रा में रहता है और बाएं दोनों हाथों में से एक में तलवार व दूसरे में कमल का पुष्प धारण करती हैं. वह बृहस्पति ग्रह का संचालन करती हैं.

पूजा से लाभ

मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आ रही सभी परेशानियां समाप्त होती है और उन्हें एक सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. इसके अलावा देवी की विधिपूर्वक आराधना करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है व मार्ग में आने वाली कठिनाइयों पर विजय प्राप्त होती है.

यह भी पढ़ेंः Exclusive: 6 प्रांतों में बंटा है बीजेपी (BJP) और आरएसएस ( RSS) का 'उत्‍तर प्रदेश' 

मां दुर्गा के छठवें रूप कात्यायनी की पूजा से राहु जनित व काल सर्प दोष दूर होते हैं. यह विश्वास है कि मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा से मस्तिष्क, त्वचा, अस्थि, संक्रमण आदि रोगों में लाभ मिलता व कैंसर की आशंका कम हो जाती है. मां कात्यायनी (Maa Katyayani) को लौकी का भोग लगाएं. वैसे देवी को प्रसन्न करने के लिए शहद और मीठे पान का भी भोग लगाया जाता है.

यह भी पढ़ेंः तो क्‍या महामारी (Epidemic ) का कारण बनेगा डेंगू (Dengue), भारत समेत दुनिया के 4 अरब लोगों पर खतरा

अगर कुंडली में बृहस्पति खराब हो तो मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा करने से बृहस्पति के शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं. मां कत्यानी की पूजा करने से आज्ञा चक्र जाग्रित होता है. जिसकी वजह से सभी सिद्धियों की प्राप्ति साधक को स्वंय ही हो जाती है. मां की उपासना से शोक, संताप, भय आदि सब नष्ट हो जाते हैं.

पूजा विधि व भोग

शारदीय नवरात्रि (Navaratri 2019) के छठवें दिन यानी 4 अक्‍टूबर को मां कात्यायनी (Maa Katyayani) के पूजन में कदंब का पुष्प देवी को अर्पित करें. मां कात्यायनी (Maa Katyayani) को लौकी का भोग लगाएं. वैसे देवी को प्रसन्न करने के लिए शहद और मीठे पान का भी भोग लगाया जाता है.

यह भी पढ़ेंः शक्तिपीठ बनने और मां के सती होने की कहानी, जानें मुख्य 9 शक्तिपीठों के बारे में

इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं. इनका ध्यान गोधुलि बेला में करना होता है. सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है. मां की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्र में छठवें दिन इसका जाप करना चाहिए.

मां कात्यायनी (Maa Katyayani) का मंत्र

1.या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
2.ॐ कात्यायिनी देव्ये नमः
3.कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी. नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः..
4.चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना. कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि..

मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की कथा

कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे. उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए. इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे. इन्होंने मां पराम्बा की उपासना करते हुए कई वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी. उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें.

यह भी पढ़ेंः Navratri 2019: नवरात्रि में भूलकर भी न करें ये काम, इन बातों का रखें खास ध्यान

मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली. कुछ समय पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार धरती पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया. महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की. इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं.

मां कात्यायनी की आरती (Maa Katyayani Ki Aarti)

जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ .
उपमा रहित भवानी, दूँ किसकी उपमा ॥
मैया जय कात्यायनि, गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ .
वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ ॥
मैया जय कात्यायनि, कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी .
शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी ॥
मैया जय कात्यायनि, त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह .
महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥
मैया जय कात्यायनि, सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित .
जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥
मैया जय कात्यायनि, अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि .
पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि ॥
मैया जय कात्यायनि, अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा .