Buddhist Monk Ashin Wirathu: इस भगवा संत का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं आतंकी, ऐसे किया आतंकवाद का इलाज

Buddhist Monk Ashin Wirathu: बौद्ध धर्म का पालन करने के वाले समुदाय को दुनिया में सबसे शांतिप्रिय बताया जाता है. लेकिन, बौद्ध भिक्षु की क्रांति ने कैसे आतंक का इलाज किया ये भी जान लें.

Buddhist Monk Ashin Wirathu: बौद्ध धर्म का पालन करने के वाले समुदाय को दुनिया में सबसे शांतिप्रिय बताया जाता है. लेकिन, बौद्ध भिक्षु की क्रांति ने कैसे आतंक का इलाज किया ये भी जान लें.

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Inna Khosla
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Buddhist Monk Ashin Wirathu

Buddhist Monk Ashin Wirathu: विश्वभर में आतंकवाद एक महामारी की तरह फैल चुका है. म्यांमार के भगवा संत विराथु ने अपने देश में आतंक का जिस तरह से इलाज किया उसे देखने के बाद पूरी दुनिया में उनकी मिसाल कायम हो गयी. बर्मी बौद्ध भिक्षु विराथु ने अपने देश में मुस्लिम विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दिया है. विराथु बर्मा (म्यांमार) में एक नाम ऐसा है जिसे सुनते ही मुस्लिम समुदाय के होश उड़ जाते हैं. यह भगवा संत बर्मा में मुस्लिमों के खिलाफ एक क्रांति का प्रतीक बन चुके हैं. विराथु ने कैसे मुस्लिमों के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत की और कैसे यह अभियान पूरे म्यांमार में फैल गया आइए जानते हैं.

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969 आंदोलन की शुरुआत (969 Movement)

मुसलमानों में 786 को एक शुभ नंबर माना जाता है लेकिन विराथू ने इसका जवाब 969 के रूप में दिया. उन्होंने अपने अनुयायियों से आह्वान किया कि जो भी राष्ट्रभक्त बौद्ध हैं वे 969 का स्टिकर अपने घरों, दुकानों, टैक्सियों और हर उस स्थान पर लगाएं जहां उनका व्यवसाय होता है. विराथु का संदेश स्पष्ट था कि बौद्ध समुदाय केवल उन्हीं दुकानों से खरीदारी करेंगे, उन्हीं टैक्सियों में यात्रा करेंगे, और उन्हीं स्थानों पर जाएंगे जहां यह स्टिकर लगा होगा. उन्होंने अपने अनुयायियों को आगाह किया कि वे मुसलमानों से किसी भी तरह का व्यापार न करें भले ही उन्हें कुछ पैसे ज्यादा क्यों न देने पड़ें.

विराथु के आह्वान के बाद पूरे बर्मा में मुस्लिम (Rohingya Muslims) व्यापारियों का बहिष्कार शुरू हो गया. 969 का स्टिकर बौद्धों के लिए एक देशभक्ति का प्रतीक बन गया. मुस्लिम व्यापारी अपने कारोबार में भारी नुकसान उठाने लगे और उनका व्यवसाय ठप होने लगा. यह स्टिकर मुस्लिमों के खिलाफ जिहाद का एक उत्तर बन गया. म्यांमार के हर कोने में 969 के स्टिकर दिखाई देने लगे और मुस्लिम समुदाय इनसे डरने लगा. विराथू के इस आंदोलन ने म्यांमार में एक नई क्रांति को जन्म दिया. इस आंदोलन के कारण कई जगहों पर छोटे-मोटे झगड़े हुए, लेकिन धीरे-धीरे बौद्धों ने मुस्लिमों को म्यांमार से खदेड़ना शुरू कर दिया. विराथु का यह अभियान केवल मुस्लिमों के व्यापार तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह म्यांमार के लोगों को भी जागरूक करने का कारण बना.

शांति के लिए युद्ध का संदेश (Ashin Wirathu Message of War for Peace)

विराथु ने भगवद गीता के संदेशों को आधार बनाते हुए कहा कि शांति की स्थापना के लिए कभी-कभी युद्ध करना आवश्यक होता है. उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा कि चाहे आप कितने भी दयालु और शांतिप्रिय क्यों न हों, आप एक पागल कुत्ते के साथ शांतिपूर्वक नहीं सो सकते. इसलिए शांति की रक्षा के लिए हथियार उठाना होगा. विराथू ने बौद्ध भिक्षुओं और सामान्य जनता को एकजुट करके मुस्लिमों के खिलाफ अभियान चलाया. उनके संदेश ने म्यांमार के लोगों को इस हद तक प्रभावित किया कि मुस्लिमों को म्यांमार से बाहर निकालने का अभियान शुरू हो गया. हाल के वर्षों में हजारों मुस्लिम म्यांमार से निकाले जा चुके हैं और इस पूरे आंदोलन के पीछे विराथू का प्रमुख हाथ रहा है.

भारत में विराथु जैसा संत चाहिए? (Do India needs a saint like Wirathu?)

विराथू का यह अभियान इस कदर सफल रहा कि लोग अब यह सवाल करने लगे हैं कि क्या भारत में भी किसी ऐसे भगवा संत की आवश्यकता है जो विराथु की भूमिका निभा सके. विराथु ने म्यांमार में मुस्लिमों के खिलाफ जो अभियान चलाया उसने उन्हें बौद्धों के बीच एक नायक बना दिया है. उनके नाम से ही आज म्यांमार के मुसलमान कांपते हैं. विराथू ने बर्मा में जो कर दिखाया वह शायद दुनिया के किसी और देश में नहीं हो पाया. उन्होंने शांति की रक्षा के लिए युद्ध का आह्वान किया और बर्मा के बौद्ध समाज को जागरूक किया.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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