Christianity in India: भारत में ईसाई धर्म देश का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. ईसाई समुदाय मुख्य रूप से केरल, गोवा, मिज़ोरम, नागालैंड, और मेघालय जैसे राज्यों में केंद्रित है. भारत में कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट, और ओरिएंटल ऑर्थोडॉक्स चर्च जैसे कई संप्रदाय हैं. ऐसा माना जाता है कि ये धर्म भारत में तब आया जब ईसा मसीह के शिष्य सेंट थॉमस जिनका पूरा नाम थॉमस द एपोसल था उन्होने ईसा मसीह के संदेश को फैलाने के लिए भारत का दौरा किया. ईसाई धर्म के आगमन की कहानी ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों रूपों से दिलचस्प है.
सेंट थॉमस लगभग 52 ईस्वी में भारत आए. ऐसा माना जाता है कि वे केरल के तट पर जो वर्तमान में कोडुंगल्लूर के नाम से प्रसिद्ध है यहां पहुंचे. उन्होंने भारत के दक्षिणी भागों में जैसे केरल और तमिलनाडु में ईसाई धर्म का प्रचार किया और केरल में सेंट थॉमस क्रिस्चियन्स या सिरो-मालाबार क्रिस्चियन्स समुदाय (Christians) का विकास हुआ.
ईसाई समुदाय की शुरुआत (The beginning of the Christian community)
सेंट थॉमस ने कई लोगों को ईसाई धर्म (Christianity) में दीक्षित किया और चर्चों की स्थापना की. केरल में कई चर्च जैसे मार थोमा चर्च और सिरो-मालाबार चर्च उनकी विरासत माने जाते हैं. सेंट थॉमस ने लगभग 20 वर्षों तक दक्षिण भारत में प्रचार किया और फिर 72 ईस्वी में चेन्नई के निकट चिरा माउंद पर उनकी हत्या कर दी गई.
मुस्लिम युग में ईसाई धर्म (Christian Religion in the Muslim era)
15वीं और 16वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों जैसे पुर्तगाली, डच, फ्रांसीसी, और ब्रिटिश ने भारत में ईसाई धर्म का प्रचार किया. 1498 में वास्को डी गामा के भारत आने के बाद पुर्तगाली मिशनरियों ने गोवा और दक्षिण भारत में ईसाई धर्म को संगठित रूप से फैलाया. सेंट फ्रांसिस जेवियर जैसे मिशनरियों ने भारत में कैथोलिक चर्च की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
ब्रिटिश राज और प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म
ब्रिटिश राज के दौरान प्रोटेस्टेंट मिशनरियों ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों के माध्यम से ईसाई धर्म (Christian Religion) को फैलाने का प्रयास किया. उन्होंने स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों की स्थापना की. प्रोटेस्टेंट मिशनरियों ने भारतीय समाज में महिला शिक्षा और अस्पृश्यता जैसे मुद्दों पर काम किया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)