Dhanteras 2023: दिवाली से पहले धनतेरस की शुरुआत कैसे हुई, जानें पौराणिक कथा
Dhanteras Mythological Story: क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के पर्व की शुरुआत कैसे हुए. दिवाली से पहले आने वाले इस त्योहार की पौराणिक कथा क्या है आइए जानते हैं.
नई दिल्ली :
Dhanteras 2023: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग सोने-चांदी के सामान से लेकर झाड़ू, साबुत धनिया, बर्तन, कुबेर यंत्र जैसी कई शुभ चीज़ें खरीदते हैं. कुछ लोग इस दिन नया वाहन भी घर लेकर आते हैं और खुशकिस्मत लोग धनतेरस पर गृह प्रवेश करते हैं या घर खरीदते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन आप जो भी चल अचल संपत्ति लेते हैं उसमें भगवान धनवंतरी और कुबेर देव की कृपा से 13 गुना मुनाफा होता है.
धनतेरस की पौराणिक कथा
धनतेरस का पर्व क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कैसे हुए ये सब जानना चाहते हैं. दिवाली से पहले आने वाली कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन यम का दीपक भी जगाते हैं जिसकी मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया था, तो एक-एक करके उससे क्रमशः चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई. लेकिन समुद्र मंथन के समय सबसे बाद में अमृत की प्राप्ति हुई थी. कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान धनवंतरी समुद्र से अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी, इसलिए धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन धनवंतरी देव की पूजा का महत्व है.
धनतेरस की पूजा का समय
आज शाम को धनतेरस की पूजा का समय में 5 बजकर 46 मिनट से शुरु होगा तब से आप शाम 7 बजकर 42 मिनट तक इस शुभ मुहूर्त में पूजा करेंगे तो ये शुभ माना जाएगा. आज धनतेरस के दिन प्रदोष काल की बात करें ये तो प्रदोष काल सुबह 5 बजकर 29 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. वृषभ काल 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.
यम दीपक का समय
धनतेरस के दिन सूर्योस्त के बाद यम दीप जगाने की परंपरा भी पौराणिक है. मान्यता है कि जो भी अपने घर के मुख्य द्वार पर धनतेरस की शाम के समय यम के नाम की दीप जगाता है उस घर में अकाल मृत्यु को डर खत्म हो जाता है. इतना ही नहीं घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और देवी लक्ष्मी के आगमन की शरुआत हो जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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