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होलिका दहन आज, जानें कब शुरू हुई परंपरा व शुभ-अशुभ समय

होलिका दहन का उल्लेख विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी मिलता है.

Updated on: 28 Mar 2021, 12:46 PM

नई दिल्ली:

होलिका दहन (Holika Dehan) आज 28 मार्च रविवार को है. हिंदू धर्म में हर साल फाल्गुन (Falgun) पूर्णिमा के दिन होलिका जलाई जाती है और होलिका माई की पूजा अर्चना की जाती है. होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. होलिका दहन को बेहद फायदेमंद और सेहत के लिहाज से अच्छा माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं में से एक के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध होलिका के दिन ही किया था. होलिका की अग्नि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका विष्णु भक्त प्रह्लाद के प्राण लेने के लिए उसे लेकर अग्नि में बैठी थी. अग्नि में ना जलने के वरदान के बावजूद वो जल कर राख हो गई क्योंकि होलिका की मंशा सही नहीं थी. होलिका दहन का इतिहास काफी पुराना है. होलिका दहन का उल्लेख विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी मिलता है. आइए पौराणिक कथाओं से जानते हैं होलिका दहन के बारे में...

पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुंचा सकती. हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ. इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है. होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं.होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है.

शिव-पार्वती प्रसंग
ऐसी ही एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी तरफ गया ही नहीं. ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया. तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए. कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई. अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया. कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है.
 
पंचांग से जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त
आज की तिथि - पूर्णिमा - 24:19:53 तक
आज का नक्षत्र- उत्तरा फाल्गुनी - 17:36:33 तक
आज का करण- विष्टि - 13:56:57 तक, बव - 24:19:53 तक
आज का पक्ष- शुक्ल
आज का योग- वृद्धि - 21:48:48 तक
आज का वार- रविवार

आज सूर्योदय-सूर्यास्त 
सूर्योदय- 06:16:32
सूर्यास्त- 18:36:38
चन्द्रोदय- 18:15:59
चन्द्रास्त- चन्द्रास्त नहीं
चन्द्र राशि- कन्या

हिन्दू मास एवं वर्ष
शक सम्वत- 1942 शार्वरी
विक्रम सम्वत- 2077
काली सम्वत- 5122
दिन काल- 12:20:05
मास अमांत- फाल्गुन
मास पूर्णिमांत- फाल्गुन
शुभ मुहूर्त- 12:01:55 से 12:51:16 तक

अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त)
दुष्टमुहूर्त- 16:57:58 से 17:47:18 तक
कुलिक- 16:57:58 से 17:47:18 तक
कंटक- 10:23:14 से 11:12:35 तक
राहु काल- 17:04:08 से 18:36:38 तक
कालवेला / अर्द्धयाम- 12:01:55 से 12:51:16 तक
यमघण्ट- 13:40:36 से 14:29:56 तक
यमगण्ड- 12:26:35 से 13:59:06 तक
गुलिक काल- 15:31:37 से 17:04:08 तक