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बिहार : कोरोना के दूसरी लहर के बीच उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ चैती छठ संपन्न

सोमवार को आस्था के महापर्व चैती छठ के चौथे और अंतिम दिन व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. इसके साथ ही चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व संपन्न हो गया.

Updated on: 19 Apr 2021, 02:43 PM

highlights

  • चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व संपन्न हो गया
  • सोमवार की सुबह लोकआस्था का महापर्व चैती छठ संपन्न हो गया
  • छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है एक चैत्र माह में दूसरा कार्तिक माह में

पटना:

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बिहार में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. इस बीच, सोमवार को आस्था के महापर्व चैती छठ के चौथे और अंतिम दिन व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. इसके साथ ही चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व संपन्न हो गया. कोरोना के कारण बिहार में प्रशासन ने लोगों को घर में रहकर ही छठ पूजा करने की अपील की थी. इसके बाद ज्यादातर लोगों ने अपने घर में ही भगवान भास्कर की पूजा की और अघ्र्य दिया. इस क्रम में रविवार की शाम अधिकांश व्रती अपने घरों की छत पर ही भगवान भास्कर को अघ्र्य दिया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा गया. सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही लोकआस्था का महापर्व चैती छठ संपन्न हो गया.

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छठव्रतियों ने सोमवार को उगते सूर्य को अघ्र्य दिया और भगवान भास्कर से सुख, समृद्धि के साथ कोरोना वायरस के समाप्त होने की कामना की और मन्नतें मांगी.  में शनिवार की शाम में व्रतियों ने चावल-गुड़ की खीर, रोटी बनाकर फल-फूल से विधिवत पूजा कर भगवान भास्कर को भोग अर्पित किया और खरना किया. 36 घंटे के इस निर्जला व्रत का प्रारंभ शुक्रवार को नहाय खाय की विधि के साथ हुआ था.

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राज्य के कुछ क्षेत्रों में छठ पूजा से संबंधित दुकानें अवश्य लगी थी, लेकिन आम छठ पर्व की तरह खरीददारी नहीं हुई. लॉकडाउन के कारण कई व्रती पहले ही छठ व्रत करने की योजना को रद्द कर चुके थे. उल्लेखनीय है कि छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक चैत्र माह में दूसरा कार्तिक माह में. बिहार में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम और पूरी निष्ठा के साथ मनाया जाता है.