माता चिंतपूर्णी जो कि हिमाचल प्रदेश के गुना जिला में स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर में जाने वाले सभी श्रद्धालुओं की चिंता को माता हर लेती है. अगर इस मंदिर की रहस्यों की बात करें तो कहा जाता है कि चिंतपूर्णी माता का प्रसाद ज्वाला जी मंदिर से आगे नहीं ले जाया जा सकता. अगर कोई ले जाता है तो उसके साथ अनहोनी घटना घट जाती है. साथ ही नवरात्र के महीनों में माता यहां पर ज्योति के रूप में दर्शन देती है. इसको कई श्रद्धालुओं ने देखा है.
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हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के नजदीक चामुंडा माता स्थित है. कहा जाता है कि यहां पर एक श्मशान घाट है. जहां पर हर रोज चिता जलती है. अगर किसी रोज कोई मृत्यु नहीं होती है और यहां पर चिता नहीं जलती है तो उसके बदले में लकड़ियों की चिता बनाकर यहां पर जलाया जाता है. यहां के लोगों के अनुसार यह कहा जाता है कि अगर यहां पर चिता न जलाए जाए तो अनहोनी घटना घट सकती है.
बता दें कि चिंतपूर्णी माता को मां छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है. धर्मग्रंथों के अनुसार मां छिन्नमस्तिका के निवास के लिए उस स्थान का चारों दिशाओं में रुद्र महादेव का संरक्षण होना आवश्यक है. वहीं बताया जाता है कि मां चिंतपूर्णी के दरबार में हर साल 20 से 25 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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चिंतपूर्णी मंदिर के चारों ओर शिव मंदिर हैं, मंदिर से उनकी दूरी भी एक समान है. चिंतपूर्णी मंदिर के पूर्व में कालेश्वर महादेव, दक्षिण में शिवबाड़ी मंदिर (गगरेट, उत्तर में मुचकुंद महादेव और पश्चिम में नरयाणा महादेव स्थित हैं. चिंतपूर्णी मां का दरबार दस महाविद्याओं में से एक है.
Source : News Nation Bureau