इस मंदिर में आज भी जिंदा हैं भगवान! मूर्ति को दबाने से निकलता है खून

कलयुग के इस दौर में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां आज भी भगवान जिंदा है. मंदिर में दर्शन के लिए यहां हजारों भक्त आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान अभी भी जीवित हैं.

कलयुग के इस दौर में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां आज भी भगवान जिंदा है. मंदिर में दर्शन के लिए यहां हजारों भक्त आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान अभी भी जीवित हैं.

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Nidhi Sharma
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Lakshmi Narasimha Swamy Temple

Lakshmi Narasimha Swamy Temple Photograph: (Freepik)

भारत में कई ऐसे मंदिर है जहां आज भी भगवान का अस्तित्व है. वहीं ये मंदिर अपनी अलग पहचान और रहस्यों के लिए जाने जाते हैं. वहीं ऐसा ही एक मंदिर तेलंगाना के वारंगल जिले के मल्लूर गांव में भी स्थिति है. जहां भगवान आज भी जिंदा है, ऐसा माना जाता है कि भगवान नरसिंह की मूर्ति इंसान की त्वचा जितनी सॉफ्ट है. वहीं उनकी स्किन को दबाने से उसमें से खून निकलने लगता है. हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां भगवान नरसिंह आज भी जीवित रूप में विराजमान हैं. 

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महसूस होती है दिव्य शक्तियां

ये मंदिर समुद्र तल से लगभग 1500 फीट ऊंचाई पर पुट्टकोंडा नाम की पहाड़ी पर बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि भगवान लक्ष्मी नरसिंह स्वामी की मूर्ति (विग्रह) इस पहाड़ी से स्वयं प्रकट हुई है. मंदिर के रास्ते में भगवान हनुमान भी शिखांजनेय के रूप में विराजमान हैं और मल्लूर के रक्षक देवता माने जाते हैं. यहां आने वाले हर भक्त को दिव्य शक्तियां महसूस होती है. 

मूर्ति से निकलते हैं खून

यहां भगवान की मूर्ति किसी मेटल या फिर पत्थर से नहीं बनी है, बल्कि इंसान की त्वचा जैसी मुलायम महसूस होती है. लोगों का मानना है कि जब मूर्ति पर फूल रखा जाता है, तो वह दबकर अंदर चला जाता है. वहीं मूर्ती पर ज्यादा दबाव देने पर मूर्ति से खून जैसा लाल रंग का लिक्विड भी निकलता है. ये लिक्विड मू्र्ति की नाभि से लगातार बहता रहता है, जिसे पुजारी चंदन का लेप लगाकर रोकने की कोशिश करते हैं. इसी के साथ भक्तों का मानना है कि मूर्ति सांस लेती है. 

मंदिर का समय

हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और फिर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है. खास बात ये है कि शाम 5:30 बजे के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं. मान्यता है कि इस समय के बाद भगवान नरसिंह आसपास के जंगलों में विचरण करने निकलते हैं, इसलिए मंदिर के दर्शन का समय सीमित रखा गया है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) 

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