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आज है सुहाग का पर्व हरतालिका तीज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

24 घंटे सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं.  कहा जाता है कि हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था.

Updated on: 09 Sep 2021, 08:44 AM

नई दिल्ली :

Hartalika Teej 2021: हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. हरतालिका तीज को तीजा के नाम से भी जाना जाता है. इस बार हरतालिका तीज 9 सितंबर को पड़ रहा है. इसे सुहाग का पर्व भी कहते हैं. पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए सुहागिन निर्जल और निराहार रहकर इस पर्व को करती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. 24 घंटे सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं.  कहा जाता है कि हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से मनचाहे पति की इच्छा और लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है.

हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त 
प्रातःकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- 6.03 बजे से सुबह 8.33 बजे तक
प्रदोषकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- शाम 6.33 बजे से रात 8.51 बजे तक 
तृतीया तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर 2021, रात 2.33 बजे 
तृतीया तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021 रात 12.18 बजे तक

हरतालिका तीज पूजन विधि:
हरतालिका तीज में महिलाएं दिन भर उपवास रखती हुई शाम को प्रदोष काल में पूजा करती हैं. भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की बालू या फिर मिट्टी की प्रतिमा बनाया जाता है. 
पूजा के जगह पर चौक पूरा कर उसे फूलों से सजाए और एक चौकी रखें.
चौकी पर केले के पत्ते बिछाएं और भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.
इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार विधि से पूजन करें.
मां पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं. भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं.
पूजा के बाद कथा सुनें और भगवान शिव और मां पार्वती का ध्यान करें. रात्रि जागरण करें.
अगले दिन सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें.

हरतालिका तीज व्रत के नियम:
ये व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है. महिलाएं सोलह श्रृंगार करके इस व्रत को रखती हैं. इस दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन और भगवान का ध्यान किया जाता है.