हरियाली तीज पर बन रहे हैं कई शुभ योग, अखंड सौभाग्य का मिलेगा फल

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का व्रत का विशेष महत्व होता है. पंचांग के मुताबिक, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 26 जुलाई को रात 10 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इसका समापन 27 जुलाई को रात 10 बजकर 41 मिनट पर होगा.

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का व्रत का विशेष महत्व होता है. पंचांग के मुताबिक, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 26 जुलाई को रात 10 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इसका समापन 27 जुलाई को रात 10 बजकर 41 मिनट पर होगा.

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Nidhi Sharma
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Hariyali Teej 2025

Hariyali Teej 2025 Photograph: (Freepik)

हरियाली तीज हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे सावन महीने में मनाया जाता है. इस साल हरियाली तीज 27 जुलाई को मनाई जाएगी. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का दिन है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. वहीं हरियाली तीज पर महिलाएं हरे रंग के कपड़े और हरी चूड़ियां पहनती हैं और हरी चीज का दान करती है. मान्यता है कि तीज पर यदि सच्चे भाव से महादेव को केवल जल और बेलपत्र अर्पित किया जाए, तो योग्य वर प्राप्ति के योग का निर्माण होता है. इस बार तीज पर कई योग बन रहे हैं. 

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हरियाली तीज शुभ मुहूर्त 

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 46 मिनट से 05:30 मिनट तक रहने वाला है.

प्रातः सन्ध्या सुबह 5 बजकर 08 मिनट से 6:14 मिनट तक रहेगा.

निशिता मुहूर्त: रात्रि 12 बजकर 23 मिनट से लेकर पूरे दिन रहेगा.

सायाह्न सन्ध्या: शाम 7 बजकर 16 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक होगा.

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:19 से 01:11 मिनट तक.

रवि योग: शाम 04 बजकर 23 मिनट से पूरे दिन रहने वाला है.

अमृत काल: दोपहर 1:56 से 3:34 मिनट तक.

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:55 से 3:48 मिनट तक.

गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:16 से 7:38 मिनट तक.

शुभ योग 

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, हरियाली तीज पर चंद्रमा का सिंह राशि में गोचर रहेगा. यहां मंगल पहले से ही उपस्थित हैं. ऐसे में चंद्र-मंगल की युति से महालक्ष्मी राजयोग का निर्माण होगा. ऐसे में पूजा-पाठ, दान, भजन-कीर्तन करना काफी शुभ माना जाता है. 

पूजा सामग्री 

शिव-पार्वती की मूर्ति  

केले के पत्ते 

बेलपत्र

चौकी 

धतूरा 

जनेऊ

भांग

चंदन 

पंचामृत

शहद

गंगाजल

दही

शिव चालीसा 

आरती की किताब

अक्षत

कलश

अगरबत्ती

फूल

गुलाल

सुपारी

आम  के पत्ते

कपूर

दूर्वा

शमी  के पत्ते 

कच्चा सूत

इसके अलावा माता पार्वती को श्रृंगार अर्पित करें. माता को बिछुआ, कंघी, माहौर, खोल, हरे रंग की साड़ी, दर्पण, मेहंदी, नथनी, अंगूठी, काजल, सिंदूर, बिंदी, मांग टीका, चूड़ियां और चुनरी से अर्पित करें. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) 

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