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Hari om Maharaj: आखिर हरिओम बाबा के चमत्कार के दावों में कितनी सच्चाई है. क्या हरिओम महाराज पाखंड का दरबार लगाते हैं या फिर वाकई चमत्कार करते हैं.हरिओम महाराज के दावों का असलियत जानने के लिए पढ़ें ये खबर.
Hari om Maharaj: उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक बाबा के अंधविश्वास में फंसकर कई लोगों की जान चली गई है. इसके बाद कानपुर में एक और बाबा के अंधविश्वास का मामला सामने आया है. ये बाबा चमत्कार के नाम पर लोगों को ठग रहा है और उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहा है. इस बाबा का नाम हरिओम महाराज है. आखिर हरिओम बाबा के चमत्कार के दावों में कितनी सच्चाई है. क्या हरिओम महाराज पाखंड का दरबार लगाते हैं या फिर वाकई चमत्कार करते हैं.हरिओम महाराज के दावों का असलियत जानने के लिए पढ़ें ये खबर.
हरिओम महाराज के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की समस्या को बोतल वाले बाबा सुनते हैं और उनकी हर समस्या के पीछे भूत-प्रेत के हाथ होने का दावा करते हैं. बाबा भूत-प्रेत से बातचीत करते हैं पूछते हैं कि कहां से आए. कैसे अटैक किया. दरअसल, कानपुर के हरिओम महाराज जो बोतल के पानी में फूंक मारकर शव को जिंदा करने का दावा करते हैं. ये वही हरिओम बाबा हैं जो बोतल के पानी से कैंसर के इलाज का दावा करते हैं. यहां पर दिव्य शक्ति का अवतार है. जल से सबका कष्ट दूर किया जा रहा है जो यहां रोगी आते हैं वो निरोगी होकर जा रहे हैं. असाध्य बीमारियों का इलाज सिर्फ एक फूंक वाले पानी से करने वाले बाबा हरिओम महाराज को इनके दरबार में पहुंचने वाले किसी अवतार से कम नहीं मानते.
कभी शुगर के मरीज को ठीक करने का दावा करते हैं. कभी कैंसर जैसे असाध्य रोग को पानी से ठीक करने का दावा करते हैं. हजारों कैंसर के रोगी सही होकर जा चुके हैं. जब डॉक्टर मना कर देते थे उन माताओं को जल की वजह से बालक पैदा हुआ. इतना ही नहीं बाबा हरिओम महाराज अपने दरबार में भूत-प्रेत से बातचीत करने का भी दावा करते हैं. लेकिन उनके तंत्र-मंत्र और फूंक वाले पानी से कोई ठीक हुआ या नहीं. इसका तार्किक और वैज्ञानिक प्रमाण बाबा नहीं देते हैं.
दरअसल, बोतल वाले बाबा अपनी पहचान हरिओम महाराज के रूप में कराते हैं. वो कानपुर के चैन का पुरवा गांव में आश्रम चलाते हैं. इसी आश्रम में समस्या निवारण के लिए दरबार लगाते हैं और हर समस्या का समाधान वो पानी से करने का दावा करते हैं. लेकिन हरिओम महाराज न तो प्रेत आत्मा के अटैक को साबित कर पाए और ना ही कथित दिव्य जल से असाध्य रोगों के उपचार के दावे को सिद्ध कर पाए. यहां तक कि लौंग बांधने और पानी पीने से समस्या के समाधान का विज्ञान भी वो नहीं समझा पाए.
लेकिन हैरानी की बात ये है कि उनके पाखंड का ख़ुलासा होने के बावजूद भी न तो बाबा ने अपना दरबार बंद किया ना ही पाखंड फैलाना रोका. लोग जुटते रहे और बाबा के अंधविश्वास में लुटते रहे. उन्हें अवतार मानकर पूजते रहे और बाबा भी खुद को अवतार बताकर लोगों की सेवा के नाम पर उन्हें ठगने का धंधा चलाते रहे. वो भी तब जब बाबा के फरेब की पूरी कहानी सबके सामने आ चुकी थी.
दावा हैरान करने वाला था और जिस बीमारी के लिए खुद प्रेमानंद महाराज किसी चमत्कार से ज्यादा मेडिकल साइंस पर विश्वास करते हैं उस किडनी की बीमारी के इलाज को लेकर भी हरिओम महाराज ने अंधविश्वास का जाल बुनने से खुद को नहीं रोका. लेकिन खुद को सिद्ध करने की बजाय बाबा अपने पाखंड की मार्केटिंग करने लगे. खुद को स्वघोषित सिद्ध पुरुष साबित करते रहे. हालांकि अपने चमत्कारिक दावे की दुकान पर बाबा ने खुद ताला लगा लिया. लोगों की भीड़ घट गई और बाबा के अंधविश्वास वाले बेलगाम दावों की हवा निकल गई. मेडिकल साइंस को अपनी दैवीय शक्ति के दावे से चुनौती देने वाले हरिओम महाराज का ये आडंबर तो आपने कई बार देखा होगा. बाबा अपने दरबार में किसी को पानी पीने के लिए कहते हैं और इसी दिव्य पानी से वो ऐसी-ऐसी बीमारियों के इलाज का दावा करते हैं जो मेडिकल जगत के लिए भी चौंकाने वाली बात है.