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Lohri 2022 Puja Vidhi: Lohri मनाने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, जान लें सब कुछ अभी के अभी

कल यानी कि 13 जनवरी को पूरे देश में लोहड़ी (lohri 2022) का त्योहार बडे़ ही धूम-धाम से मनाया जाएगा. पहले इस त्योहार को तिलोड़ी कहा जाता था. आइए आपको इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि ( Lohri 2022 Shubh Muhurat) के बारे में विस्तार से बता देते है.

Updated on: 12 Jan 2022, 11:51 PM

नई दिल्ली:

कल यानी कि 13 जनवरी को पूरे देश में लोहड़ी (lohri 2022) का त्योहार बडे़ ही धूम-धाम से मनाया जाएगा. वैसे तो ये फेस्टिवल ट्रेडिशनल तरीके से किसानों के लिए बड़ा त्योहार है. ये फेस्टिवल मकर संक्रांति (makar sankranti 2022) से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है. वैसे तो ये पंजाब और हरियाणा का खास त्योहार है. लेकिन, मनाया पूरे देश में खुशी से जाता है. पहले इस त्योहार को तिलोड़ी कहा जाता था. इस दिन (happy lohri 2022) पर लोग गाना बजाना, गुड़ और तिल से बने पकवान और न जाने-जाने क्या करते हैं. शाम को सभी लोग एक जगह पर इकट्ठे होकर आग जलाते हैं. इसके इर्द-गिर्द नाचते-गाते हैं. इस दिन अग्नि देवता को खुश करने के लिए अलाव में गुड़, मक्का, तिल और फूले हुए चावल जैसी चीजें भी चढ़ाई जाती हैं. कई लोगों को शायद अभी तक न पता हो कि इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (lohri pujan vidhi) क्या है. तो, आइए बड़े ही कम शब्दों में आपको बता देते है इसके बारे में. 

                                                           

लोहड़ी के लिए शुभ मुहूर्त 
13 जनवरी को शाम 5 बजे (lohri 2022 puja time) के बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा.  लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त (lohri shubh muhurat 2022) शाम 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा. वहीं लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 25 मिनट पर खत्म हो जाएगा. 

                                                           

लोहड़ी की पूजा विधि 
इस दिन की पूजा विधि (lohri 2022 puja vidhi) की बात करें तो, लोहड़ी जलाने से पहले जहां लोहड़ी स्थापित की है वहां पश्चिम दिशा में आदिशक्ति कि तस्वीर स्थापित करें. लोहड़ी पर भगवान श्रीकृष्ण, आदिशक्ति और अग्निदेव की आराधना की जाती है.  इसके बाद उनके समक्ष सरसों के तेल का दीया जलाएं. उन्हें सिंदूर और बेलपत्र अर्पित करें.  भोग के दौरान श्रीकृष्ण और अग्निदेव का भी आह्वान कर उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाएं.  इसके बाद सूखा नारियल लेकर उसमें कपूर डाल दें.  उसके बाद आप लोहड़ी में अग्नि प्रज्ज्वलित करें. इसके बाद उसमें तिल का लड्डू, मक्का और मूंगफली अर्पित करें. आखिरी में लोहड़ी की परिक्रमा करें. याद रहे परिक्रमा 7 या 11 ही होनी चाहिए.