Happy Janmashtami : मुगलों से बचकर जानें वृंदावन से जयपुर कैसे आए गोपीनाथ जी
जयपुर की पुरानी बस्ती में एक मंदिर है गोपीनाथ जी का. कहा जाता है गोपीनाथ जी को वृंदावन से मुगलों के आक्रमण से बचाकर एक भक्त ने जयपुर लाया था.
जयपुर:
जयपुर की पुरानी बस्ती में एक मंदिर है गोपीनाथ जी का. कहा जाता है गोपीनाथ जी को वृंदावन से मुगलों के आक्रमण से बचाकर एक भक्त ने जयपुर लाया था. जयपुर में गोविन्ददेव जी के विग्रह को तो चंद्रमहल के सामने जयनिवास उद्यान के मध्य बारहदरी में प्रतिष्ठित किया गया था. मान्यता यह है अगर एक ही दिन में गोविन्ददेव जी, गोपीनाथ जी और करौली में मदन मोहन के दर्शन किया जाए तो मनोकामना पूरी होती है, श्रीकृष्ण की यह आकर्षक मूर्ति संत परमानंद को यमुना किनारे वंशीघाट पर मिली थी. उन्होंने इस मूर्ति को निधिवन के समीप विराज्जित कर इसकी सेवा का जिम्मा मधु गोस्वामी को सौंप दिया था. मुगल आक्रमण के दौरान कृष्ण भक्त इस मूर्ति को जयपुर ले गए और तब से लेकर अब तक यह मूर्ति पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ मंदिर में विराजमान हैं.
यह भी पढ़ेंः कृष्ण जन्माष्टमी पर करें ये 8 विशेष उपाय, चमक जाएगी आपकी किस्मत
औरंगजेब के आतंक से अन्य विग्रहों के साथ मूल गोपीनाथजी, जाह्नवीजी और राधा जी को जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया.सं 1819 में नंदकुमार वसु द्वारा नवनिर्मित मन्दिर में प्रतिमूर्ति स्थापित की गयी. मन्दिर निर्माण से पूर्व ही सं 1748 ई० में प्रतिमूर्ति की स्थापना हो चुकी थी. नए मन्दिर के पास ही पूर्व दिशा में मधुपंडित जी की समाधी विराजमान है. गोपीनाथजी के दक्षिण पार्श्व में राधाजी व ललिता सखी विराजमान हैं. वाम पार्श्व में जहान्वी ठकुरानी और उनकी सहचरी विश्वेश्वरी हैं. पृथक् प्रकोष्ठ में महाप्रभु श्री गौर सुन्दर का विग्रह है. हर वर्ष इस मन्दिर में जान्हवी देवी का महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. परमानन्द भट्टाचार्य और मधुपंडित गोस्वामी वंशीवट के निकट यमुना तट पर वैराग्य पूर्वक श्री राधा कृष्ण युगल की आराधना करते थे.
यह भी पढ़ेंः Krishna Janmashtami 2019: यहां 50 करोड़ के जेवरों से होगा कान्हा का श्रृंगार
एक समय यमुना की धारा से तट कट जाने से उसके भीतर से बहुत सुन्दर श्रीगोपीनाथजी का विग्रह प्रकट हुआ.प्रातः काल भक्त परमानन्द ने यमुना स्नान के लिए जाते समय कटे हुए तट से इस परम मनोहर श्री विग्रह को प्राप्त किया.उन्होंने गोपीनाथ जी की सेवा का भार अपने शिष्य मधुपंडित को सौंपा. पहले ये वंशीवट के पास ही विराजमान रहे. 1632 में राठोर वंश के बीकानेर के राजा कल्याणमल के पुत्र रायसिंह के द्वारा मन्दिर बन जाने पर वहाँ उनकी सेवा-पूजा होने लगी.
यह भी पढ़ेंः इन संदेशों के साथ भेजेें अपने करीबियों जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
प्रधान ठाकुर श्री गोपीनाथजी के दक्षिण पार्श्व में “राधारानी” तथा वाम पार्श्व में “जहान्वी ठकुरानी” हैं. पहले राधाजी की मूर्ति थोड़ी छोटीथी. नित्यानंद प्रभु की दूसरी पत्नी जाह्नवा ठकुरानी जब वृन्दावन आई थीं तब राधाजी के दर्शन कर मन में विचार किया की राधाजी कुछ बड़ी होतीं तो युगल जोड़ी अत्यन्त सुन्दर लगती.स्वप्न में उन्हें गोपीनाथजी का भी आदेश हुआ की तुम्हारा विचार उचित है और तुम तुरंत गौड़देश जाकर प्रिया जी की मूर्ति का निर्माण करवाओ.
यह भी पढ़ेंःJanmashtami 2019: ...तो इसलिए दो दिन मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
जाह्नवी ठकुरानी ने ऐसा ही किया और नयन नामक भास्कर से प्रिया जी के साथ ही अपनी भी एक प्रतिमा बनवा करके वृन्दावन भिजवा दी. जाह्नवी देवी की मूर्ति को प्रतिष्ठित करने में पुजारियों को कुछ संकोच हुआ. तब गोपीनाथजी ने स्वप्न में आदेश दिया, की यह मेरी प्रिया “अनंगमंजरी” हैं. इन्हें मेरे वाम पार्श्व में और श्री राधाजी को दक्षिण पार्श्व में बिठाओ. अब तक सभी विरह उसी प्रकार से सेवित हैं.
यह भी पढ़ेंः Krishna Janmashtami Date 2019: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पंजीरी का भोग और इसका वैज्ञानिक कारण
गोपीनाथजी के दर्शनार्थी भी प्रतिदिन हजारों की संख्या में आते हैं. पिछले कुछ सालों से गोपीनाथ जी की मान्यता काफी बढ़ गई है. तीज त्योहारों के अलावा भी आम दिनों में भक्तों की तादाद काफी रहती है. और श्रद्धालु गोपीनाथ की छवि को निहारने के लिए सुबह-शाम रोजाना आते हैं. प्राचीन दस्तावेजों के अनुसार आज से लगभग सवा दो सौ साल पहले गोपीनाथजी का विग्रह जयपुर लाया गया और पुरानी बस्ती स्थित उसी स्थान पर प्रतिष्ठापित किया गया, जहां वर्तमान में मौजूद है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी