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Guru Nanak Jayanti 2020: कब है गुरुनानक जयंती? जानें गुरु पर्व का इतिहास और महत्व

Guru Nanak Jayanti 2020: इस बार गुरु नानक देव की जयंती 30 नवंबर को मनाई जाएगी. हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पर्व मनाया जाता है. गुरु नानक देव को सिख धर्म का प्रथम गुरु माना जाता है और सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव ने ही की थी.

Updated on: 28 Nov 2020, 07:23 PM

नई दिल्ली:

Guru Nanak Jayanti 2020: इस बार गुरु नानक देव की जयंती 30 नवंबर को मनाई जाएगी. हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पर्व मनाया जाता है. गुरु नानक देव को सिख धर्म का प्रथम गुरु माना जाता है और सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव ने ही की थी. गुरु नानक देव ने समाज की कई कुरीतियों को दूर करने की दिशा में शानदार काम किया. आज हम आपको इस दिन का महत्‍व और इतिहास के बारे में बताएंगे. 

गुरु नानक देव का जन्‍म कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था. बताया जाता है कि गुरुनानक जी का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन 12 नवंबर, मंगलवार था. बचपन से ही शांत प्रवृति के गुरु नानक देव आंखें बंद कर ध्यान और चिंतन में लगे रहते थे. इससे उनके माता-पिता चिंतित हो गए और पढ़ने के लिए उन्‍हें गुरुकुल भेज दिया गया. गुरुकुल में नानक देव के प्रश्नों से गुरु निरुत्तर हो गए. अंत में नानक देव के गुरु इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे कि ईश्‍वर ने उन्‍हें ज्ञान देकर धरती पर भेजा है.

यह भी कहा जाता है कि गुरु नानक देव को एक मौलवी के पास भी ज्ञानार्जन के लिए भेजा गया था लेकिन वो भी नानक देव के प्रश्‍नों को हल नहीं कर पाए. शादी के कुछ दिनों बाद ही गुरु नानक देव घर-द्वार छोड़कर भ्रमण पर निकल गए थे. गुरु नानक देव ने भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य हिस्‍सों की यात्रा की और लोगों को उपदेश दिया. गुरु नानक देव ने पंजाब में कबीर की निर्गुण उपासना का प्रचार भी किया और इसी के चलते वो सिख संप्रदाय के गुरु बने. उसके बाद से ही गुरु नानक देव सिखों के पहले गुरु के रूप में प्रतिस्‍थापित हुए. 

सिख धर्मावलंबियों के लिए गुरु पर्व का खास महत्‍व होता है. कहा जाता है कि सांसारिक कार्यों में गुरु नानक देव का मन नहीं लगता था और ईश्वर की भक्ति और सत्संग आदि में वे अधिक रमते थे. रब के प्रति समर्पण देख लोग उन्‍हें दिव्य पुरुष मानने लगे.

Disclaimer : इस लेख में लिखे गए तथ्‍य विभिन्न संचार माध्यमों/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों पर आधारित है.