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Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें प्रभु यीशु के बलिदान की कहानी  

Good Friday 2024: ईसाई धर्म के लिए यह दिन बेहद खास होता है. इस दिन ईसाई धर्म के लोग गिरजाघरों में जाकर प्रार्थना सभा में हिस्सा लेते हैं.

Updated on: 29 Mar 2024, 09:19 AM

नई दिल्ली:

Good Friday 2024: गुड फ्राइडे ईसाई समुदाय के खास पर्वो में से एक है. इसे भगवान यीशु के शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है. गुड फ्राइडे को ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या होली फ्राइडे का नाम भी दिया गया है. कल यानि 29 मार्च को गुड फ्राइडे मनाया जाएगा. ऐसा मान्यता है कि मानव जाति की रक्षा को लेकर प्रभु यीशु ने बलिदान दे दिया था. यीशु को यहूदी शासकों ने शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था. इस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया. ये दिन शुक्रवार था. इसे गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है. इस कारण से ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे को प्रभु यीशु के बलिदान के रूप में याद करते हैं. 

ये दिन ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन ईसाई धर्म के लोग गिरजाघरों में जाकर प्रार्थना सभा में सम्मलित होते हैं. इसके साथ प्रभु यीशु की याद में उपवास भी रखा जाता है. उपवास को करने  के बाद मीठी रोटी बनाई जाती है. गुड फ्राइडे को पुरे विश्वभर में सभी ईसाई लोग मनाते हैं. आइए इस दिन को लेकर विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं. हर वर्ष गुड फ्राइडे को अंग्रेजी कैलेडर के हिसाब से अप्रैल के माह में मनाया जाता है. मगर, इस साल 29 मार्च 2024 को गुड फ्राइडे मनाया जाएगा.  

किस लिए मनाया जाता है गुड फ्राइडे 

गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था. उस समय धार्मिक कंट्टरपंथियों ने रोम के शासक से शिकायत करके उन्हें सूली चढ़ाने को कहा. प्रभु ईसा मसीह प्रेम और शांति के प्रतीक थे. इस वजह से ईसाई धर्म को मानने वाले लोग गुड फ्राइडे को काले दिवस के रूप में मनाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि प्रभु यीशु इस घटना के तीन दिन बाद यानी ईस्टर संडे के दिन दोबारा जीवित हो उठे थे. 

ऐसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे

ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन व्रत का पालन करते हैं. इसके साथ प्रभु यीशु के त्याग और बलिदान को याद किया जाता है. इस दिन लोग शोक मनाने के लिए काले रंग के वस्त्र को धारण करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि गुड फ्राइडे वाले दिन गिरजाघरों में घंटा नहीं बजाया जाता है. यहां पर लोग क्रॉस को चूमकर प्रभु यीशु को याद करते हैं.