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Gita Jayanti 2022: इन पांच श्लोकों का अनुसरण, जीवन में हमेशा आपको बनाएगा सफल

गीता जयंति यानी की श्रीमद्भगवत गीता का जन्म, कहने का तात्पर्य यह है कि श्रीमद्भगवत गीता के जन्मदिन के रूप में इस दिन को मनाया जाता है

Updated on: 01 Dec 2022, 11:23 AM

नई दिल्ली :

Gita Jayanti 2022 : गीता जयंति यानी की श्रीमद्भगवत गीता का जन्म, कहने का तात्पर्य यह है कि श्रीमद्भगवत गीता के जन्मदिन के रूप में इस दिन को मनाया जाता है. इस दिन जो व्यक्ति श्रीमद्भगवत गीता का पाठ मन से पढ़ता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, उसके जीवन के सारे काम आसान हो जाते हैं.इस दिन को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.पोराणिक कथा में कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इस बार गीता जयंती दिनांक 3 दिसंबर 2022 दिन शनिवार को है, तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में गीता के कुछ श्लोकों के बारे में जानेंगे, जिन्हें पढ़ने से हमेशा आपको जीवन में सफलता मिलेगी और जीवन जीने के तरीके के बारे में पता चलेगा कि जीवन कैसे जीना चाहिए.

इस मंत्र को पढ़ें, जीवन में हमेशा आपको मिलेगी सफलता 

1- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि अगर आप जीवन में सफलता चाहते हैं, तो बस अपना काम मन लगाकर करें. जो व्यक्ति काम जिस तरीके से करते है, उसे उसका फल भी उसी हिसाब से मिलता है.


2-क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।

गीता से इस श्लोक में बताया गया है, कि काम में अगर आपको सफलता चाहिए, तो सबसे पहले आपको अपने मन को शांत रखने की आवश्यकता है. वहीं क्रोध भी इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है, इसलिए हमें क्रोध नहीं करना चाहिए, इसके अलावा जीवन में त्याग बेहद जरूरी है, जीवन में त्याग नहीं होगा, तो आप कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं.


3-अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।

इस श्लोक का तात्पर्य यह है कि मनुष्य को कभी किसी चीज को लेकर संदेह नहीं करनी चाहिए, इससे उसके मन की शांति के साथ सुख भी चली जाती है और इस प्रकार वह अपने आप को विनाश के कगार पर पहुंचा देता है, इसलिए अगर आपको काम में सफलता चाहिए, तो अपना काम निष्पक्ष होकर बिना किसी संदेह से करें. 

4- ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

हमें किसी चीज को लेकर ज्यादा लगाव नहीं रखना चाहिए, आप जितना ज्यादा लगाव रखेंगे, उतना आपको दुख होगा और अगर आप दुखी रहेंगे , तो आप जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे.इसलिए ज्यादा किसी के प्रति लगाव न रखें.

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5-हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं, कि अगर आप जीवन में सफलता पाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको आपके अंदर का डर खत्म करने की आवश्यकता है. इसी में उन्होंनेएक उदाहरण भी दिया है कि युद्ध में अगर तुम हार गए तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और अगर जीत गए तो पूरे संसार में तुम राज करोगे.