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Garuda Purana: मृत्यु के बाद पुनर्जन्म कितने दिन में होता है, कहां जाती है आत्मा?

Garuda Purana: इस लेख के जरिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर मृत्यु के बाद पुनर्जन्म कितने दिन में होता है. साथ ही जानिए मरने के बाद व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा कहां जाती है.

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Sushma Pandey
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what happen after death

what happen after death( Photo Credit : SOCIAL MEDIA )

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Garuda Purana: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है. जिसमें इंसान के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु और मृत्यु तक के बाद के सफर के बारे में विस्तार से बताया गया है. इतना ही नहीं गरुड़ पुराण में मनुष्य के अलग-अलग कर्मों के लिए अलग-अलग सजा भुगतने के बारे में भी वर्णन किया गया है. ऐसे में आइए इस लेख के जरिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर मृत्यु के बाद पुनर्जन्म कितने दिन में होता है. साथ ही जानिए मरने के बाद व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा कहां जाती है. 

मृत्यु के बाद कहां जाती है आत्मा?

1. हिंदू धर्म 

हिंदू धर्म में, मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है यह उसके कर्मों पर निर्भर करता है. कर्म अच्छे हैं तो आत्मा स्वर्ग जाती है और बुरे हैं तो नर्क जाती है.  स्वर्ग और नर्क अस्थायी स्थान हैं, और आत्मा अंततः पुनर्जन्म के चक्र में लौट आती है, जहां वह एक नए शरीर में जन्म लेती है.  पुनर्जन्म की प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेती, जोकि जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति की अवस्था है. 

2. इस्लाम 

इस्लाम में, मृत्यु के बाद आत्मा को बरजख नामक स्थान पर भेजा जाता है, जहां वह प्रलय का इंतजार करती है.  प्रलय के दिन, सभी लोगों को उनके कर्मों के आधार पर न्याय किया जाता है और उन्हें जन्नत (स्वर्ग) या जहन्नुम (नर्क) भेजा जाता है. जन्नत और जहन्नुम दोनों ही स्थायी स्थान हैं. 

3. ईसाई धर्म 

ईसाई धर्म में, मृत्यु के बाद आत्मा का स्वर्ग या नर्क में जाना तय होता है. स्वर्ग एक अनन्त स्थान है जहां आत्माएं ईश्वर के साथ शांति और आनंद का अनुभव करती हैं, जबकि नर्क एक अनन्त स्थान है जहां आत्माएं पीड़ा और दण्ड का अनुभव करती हैं. 

4. बौद्ध धर्म 

बौद्ध धर्म में, मृत्यु के बाद आत्मा अनंत चेतना की स्थिति में प्रवेश करती है, जिसे निरवाण कहा जाता है.  निर्वाण दुख और पीड़ा से मुक्ति की अवस्था है. पुनर्जन्म की अवधारणा बौद्ध धर्म में भी मौजूद है, लेकिन यह हिंदू धर्म की तरह कर्म पर आधारित नहीं है.  इसके बजाय, यह अनुपस्थिति (अनात्म) की अवधारणा पर आधारित है, जो यह विचार है कि कोई स्थायी आत्मा या स्वयं नहीं है. 

पुनर्जन्म कैसे तय होता है?

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु से 3 दिन बाद से लेकर 40 दिनों के बीच पुनर्जन्म होता है.  व्यक्ति का पुनर्जन्म उसके कर्म के आधार पर तय होता है. बुरे कर्म करने वाले लोगों की आत्मा को 
नरक में भेजा जाता है तो वहीं पुण्य करने वाले लोगों के आत्मा को स्वर्ग भेजा जाता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब व्यक्ति की आत्मा अपने कर्मों के हिसाब सजा भुगत लेती है तो उसका पुनर्जन्म होता है. अगला जन्म उनका किस रूप में होगा ये सिर्फ कर्मों के आधार पर ही तय किया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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