Ganesha Jayanti 2021: गणेश जयंती पर ऐसे करें गणपति बप्पा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
Ganesha Jayanti 2021: आज पूरे देश में भगवान श्रीगणेश की जयंती (Ganesha Jayanti) मनाई जाएगी. हिन्दू पंचाग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है.
नई दिल्ली :
Ganesha Jayanti 2021: आज पूरे देश में भगवान श्रीगणेश की जयंती (Ganesha Jayanti) मनाई जाएगी. हिन्दू पंचाग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है. इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है. कल गणेश जयंती के दिन को माघ शुक्ल चतुर्थी, तिलकुंड चतुर्थी और वरद चतुर्थी भी कहते हैं. हिंदू धर्म में इस व्रत का काफी महत्व है. गणेश जयंती का व्रत करने से भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी संकट हर लेते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. दक्षिण भारतीय मान्यता के अनुसार भगवान गणेश के जन्मदिवस पर की गई गणेश पूजा अत्याधिक लाभ देने वाली होती है. अग्निपुराण में भी भाग्य और मोक्ष प्राप्ति के लिए तिलकुंड चतुर्थी के व्रत का विधान बताया गया है. गणेश जयंती पर चंद्र दर्शन करना वर्जित माना जाता है. इस दिन चंद्रोदय सुबह 09:14 बजे होगा और चंद्रास्त रात 09:32 बजे होगा.
गणेश जयंती पूजा शुभ मुहूर्त
गणेश जयंती- 15, फरवरी 2021 (सोमवार)
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 15, फरवरी 2021, देर रात 01:58 बजे से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 16, फरवरी 2021, देर रात 03:36 बजे
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय- सुबह 09:14 बजे से रात 09:32 बजे तक
विनायक चतुर्थी की व्रत कथा
भगवान गणेश के जन्मदिवस को लेकर प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान भोलेनाथ एक दिन स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगवती गए. महादेव के प्रस्थान करने के बाद मां पार्वती ने स्नान किया और इस दौरान अपने मैल से एक पुतला बनाकर उसमें जान डालकर सजीव कर दिया. पुतले में जान आने के बाद मां पार्वती ने पुतले का नाम गणेश रखा. पार्वती जी ने बालक गणेश को स्नान करते जाते वक्त मुख्य द्वार पर पहरा देने के लिए कहा. माता पार्वती ने यह भी कहा कि जब तक वे स्नान करके वापस नहीं आतीं, तब तक किसी को अंदर न आने दिया जाए.
उधर, स्नान के बाद भोगवती से वापस आए भगवान शिव को बाल स्वरूप गणेश ने द्वार पर ही रोक दिया. भगवान शिव के लाख समझाने के बाद भी गणेश ने उनको अंदर नहीं जाने दिया. भगवान शिव ने इसे अपना अपमान समझा और बालक गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया. इस बीच माता पार्वती स्नान कर वापस आ गईं. उन्होंने यह सब देखा तो भगवान शिव को सारी बात बताई और भगवान गणेश को फिर से जीवित करने की जिद कर बैठीं. इससे भगवान शिव दुविधा में पड़ गए और उन्होंने एक हाथी का सिर काटकर गणेश पर जोड़ दिया. उसके बाद भगवान गणेश का स्वरूप सिर के ऊपर हाथी की तरह हो गया.
गणेश जयंती पूजा विधि
- प्रात: काल स्नान करके गणपति बप्पा के व्रत का संकल्प लें.
- शुभ मुहूर्त में किसी पाटे, चौकी लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें.
- गंगाजल से छिड़काव करें और गणपति बप्पा को प्रणाम करें.
- सिंदूर से गणेश जी को तिलक करें और धूप-दीप जलाएं.
- गणेश भगवान को उनकी प्रिय चीजें मोदक, लड्डू, पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और 21 दूर्वा अर्पित करें.
- पूरे परिवार सहित गणेश जी की आरती करें.
- कुछ लड्डूओं को प्रतिमा के पास ही छोड़ दें बाकी के लड्डूओं में से सबसे पहले ब्राह्मण को दें बाकी अन्य लोगों औऱ परिवारजन में बांट दें.
गणेश जयंती पर न करें चंद्रमा के दर्शन
गणेश जयंती के दिन भगवान गणेश लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चंदन और लाल मिठाई आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है. कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन श्रीगणेश की विधि-विधान से पूजा और व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना वर्जित माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी के चंद्रदेव को श्राप देने के कारण माघ की गणेश चतुर्थी पर चंद्रदर्शन करना अशुभ होता है. ऐसा करने पर मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं.
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