Ganesh Chaturthi 2022 Visarjan Rahasya: जब महर्षि वेदव्यास के कारण जड़वत हो गए थे गणपति, 10 दिनों बाद इस तरह मिली थी मुक्ति
Ganesh Chaturthi 2022 Visarjan Rahasya: हर साल बड़े ही धूम धाम से गणपति उत्सव मनाया जाता है. इस साल 10 दिनों तक चलने वाला महापर्व गणेशोत्सव 2 अगस्त, दिन बुधवार से शुरू हो चुका है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर 10 दिन बाद ही क्यों होता है गणपति विसर्जन.
नई दिल्ली :
Ganesh Chaturthi 2022 Visarjan Rahasya: भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश घर-घर में विराजते हैं. महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की धूम सबसे ज्यादा रहती है. इसके अलावा देश के कई राज्यों में गणेशोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं, इसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन होता है. हालांकि कई जगहों पर डेढ़ दिन, पांच दिन बाद भी गणपति विसर्जन किया जाता है. 10 दिन बाद गणेश विसर्जन करने के पीछे एक खास कारण है, जिसका संबंध महाभारत से जुड़ा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर 10 दिन बाद ही क्यों होता है गणपति विसर्जन.
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी का जन्म हुआ था. इसके अतिरिक्त, ये भी कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाभारत का लेखन कार्य आरंभ हुआ था. महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी और गणेश जी ने कहा था कि वह लिखना आरंभ करेंगे तो कलम नहीं रोकेंगे.
- यदि कलम रुक गई तो वहीं लिखना बंद कर देंगे. तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि भगवान आप विद्वानों में सबसे आगे हैं और मैं साधारण ऋषि, यदि मुझसे श्लोकों में कोई गलती हो जाए तो आप उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं. इस तरह महाभारत लेखन शुरू हुआ और लगातार 10 दिन तक चला.
- अनंत चतुर्दशी के दिन जब महाभारत लेखन का काम पूरा हुआ तो गणेश जी का शरीर जड़वत हो चुका था. बिल्कुल न हिलने के कारण उनके शरीर पर धूल-मिट्टी जम गई थी. तब गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपनी देह को स्वच्छ किया. इसलिए गणपति स्थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.
- गणेशोत्सव को आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह 10 दिन हमें संयम से रहने और हमारे मन-आत्मा पर लगे मैल को हटाकर उसे स्वच्छ करने का समय है. इस दौरान व्यक्ति को अपना अवलोकन करते हुए पूरा ध्यान गणेश जी की भक्ति में लगाना चाहिए.
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