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Ganesh Chaturthi 2022 Puja Vidhi: गणेश चतुर्थी पर की गई गणपति की ये पूजा भर देगी आपके घर को सुख समृद्धि से, परिवार का हर एक सदस्य करेगा जबरदस्त उन्नति

Ganesh Chaturthi 2022 Puja Vidhi: 10 दिनों तक चलने वाला महापर्व गणेशोत्सव 31 अगस्त, दिन बुधवार से शुरू हो चुका है. ऐसे में आइए जानते हैं भगवान श्री गणेश की इन 10 दिनों के दौरान की जाने वाली संपूर्ण पूजा विधि के बारे में.

Updated on: 01 Sep 2022, 11:42 AM

नई दिल्ली :

Ganesh Chaturthi 2022 Puja Vidhi: हर साल बड़े ही धूम धाम से गणपति उत्सव मनाया जाता है. बड़े पैमाने पर गणपति बाप्पा की देशभर में सवारी निकलती है. इस साल 10 दिनों तक चलने वाला महापर्व गणेशोत्सव 31 अगस्त, दिन बुधवार से शुरू हो चुका है. पहले दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर घर-घर भगवान गणपति विराजें हैं. वहीं, इस पर्व का समापन 9 सितंबर, दिन शुक्रवार को होगा. ऐसे में आइए जानते हैं भगवान श्री गणेश की इन 10 दिनों के दौरान की जाने वाली संपूर्ण पूजा विधि के बारे में.   

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यूं तो गणेश चतुर्थी पर्व की धूम देशभर में देखने को मिलती है लेकिन महाराष्ट्र में गणेश उत्सव का रंग अलग ही छटा बिखेरता नजर आता है. समूचा महाराष्ट्र गणेश भक्ति में डूबा दिखाई पड़ता है. पृथ्वी से लेकर अंबर तक 'गणपति बाप्पा मोरया' की जय जयकार गूँज उठती है. महाराष्ट्र में बड़े-बड़े पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है. हिंदू धर्म में भगवान गणेश  विद्या, बुद्धि, विघ्नहर्ता, विनाशक, मंगलकारी, सिद्धिदायक और समृद्धिदाता के प्रतीक माने जाते हैं.

गणेश चतुर्थी 2022 पूजा विधि (Ganesh Chaturthi 2022 Puja Vidhi) 
- सर्व प्रथम भगवान गणेश का स्मरण कर उनका आवाहन करें. 

- तत्पश्चात 'ऊं गं गणपतये नम:' मंत्र का उच्चारण करते हुए चौकी पर रखी गणेश प्रतिमा के ऊपर जल छिड़के.

- भगवान गणेश की पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों को बारी बारी से उन्हें अर्पित करें. 

- भगवान गणेश की पूजा सामग्री में खास चीजें होती हैं जैसे कि हल्दी, चावल, चंदन, गुलाल, सिंदूर, मौली, दूर्वा, जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, माला और फूल.

- इसके बाद भगवान गणेश के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें. पूजा में धूप-दीप करते हुए सभी की आरती करें.

- आरती के बाद 21 लड्डओं का भोग लगाएं जिसमें से 5 लड्डू भगवान गणेश की मूर्ति के पास रखें और बाकी के ब्राह्राणों और आम जन को प्रसाद के रूप में वितरित कर दें.

- अंत में ब्राह्राणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें.

- पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करें:  विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ।।