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Ganesh Chaturthi 2020: गणपति बप्‍पा को घर लाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें, कृपा बरसेगी

Ganesh Chaturthi 2020: कल यानी 22 अगस्‍त को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन भक्‍त लोग गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) को घर लाकर विधि-विधान से पूजा कर स्थापना करते हैं.

Updated on: 21 Aug 2020, 04:03 PM

नई दिल्ली:

Ganesh Chaturthi 2020: कल यानी 22 अगस्‍त को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन भक्‍त लोग गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) को घर लाकर विधि-विधान से पूजा कर स्थापना करते हैं. माना जाता है कि प्रथम पूज्य गणपति जी की स्थापना (Ganesh Chaturthi Sthapana) विधि-विधान से न होने पर वे विराजमान नहीं होते और आशीर्वाद भी नहीं देते. गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी स्थापना के समय इन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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  • गणपति बप्‍पा को लेने जाने से पहले नए और साफ-सुथरा वस्त्र पहनें. पुरुष टोपी या रूमाल से सिर ढके रहें और महिलाएं सुंदर वस्त्रों के अलावा यथाशक्‍ति आभूषण पहनें.
  • गणेश चतुर्थी के दिन स्नान कर स्थापना की जगह की साफ-सफाई करनी चाहिए. स्थान को सबसे पहले पानी से धोएं. गणपति बप्‍पा के आगमन पर घर की महिलाएं द्वार पर ही उनकी आरती उतारें.
  • स्‍थापना वाली जगह को गंगाजल से साफ करना चाहिए. वहां लाल या हरे रंग का साफ कपड़ा बिछाएं. कपड़े पर अक्षत रखें और उस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें.
  • भगवान गणेश की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें और फिर भगवान गणेश को जनेऊ धारण कराएं. गणपति बप्‍पा के बाई ओर अक्षत रखकर कलश स्थापन करें. आम के पत्ते और नारियल पर कलावा बांधकर कलश पर रखना चाहिए.
  • कलश स्थापन के बाद गणपति को दूर्वा अर्पित करें. फिर पंचमेवा और मोदक का भोग लगाएं और फिर फूल-माला, रोली आदि अर्पित करें. उसके बाद अखंड दीपक जलाकर भगवान गणेश की आरती करनी चाहिए.

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  • दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में गणपति बप्पा की स्थापना न करें. गणपति की स्‍थापना हमेशा पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा में करें, जिसे बहुत शुभ माना जाता है.
  • भगवान गणेश की एक साथ दो प्रतिमाएं न रखें. वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से धन हानि होती है.
  • गणपति बप्‍पा की मूर्ति का मुख दरवाजे की ओर नहीं होना चाहिए. माना जाता है कि भगवान गणेश के मुख की ओर सौभाग्य, सिद्धि और सुख का योग होता है.
  • अखंड ज्योति विसर्जन वाले दिन तक जलाए रखना शुभ होता है. 10 दिन तक नियमित समय पर उनकी आरती करें. उनका आशीर्वाद पाने के लिए समय पर प्रसाद और आरती करें.