Ganesh Chaturthi 2020: जानिए इस साल कब मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, क्या है शुभ मुहूर्त
मान्यता के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था. इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है
नई दिल्ली:
कोरोना संकट के बीच देशभर में त्योहारों का मौसम भी शुरू हो गया है. आने वाले कुछ दिनों में गणेश चतुर्थी है जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस साल गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी. वैसे तो गणेश चतुर्थी पर देशभर में लोग अपने घरों में गणेश जी की पूजा करते हैं लेकिन इस दौरान महाराष्ट्र का नजारा देखने लायक होता है.यहां 10 दिनों तक लोग गणपति के पंडाल में इकट्ठा होते हैं और उनकी पूजा करते हैं. हालांकि इस साल कोरोना संकट के चलते गणेष चतुर्थी का ये मजा थोड़ा फीका पड़ सकता है.
मान्यता के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था. इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है. इस साल ये तिथि 22 अगस्त को है. ऐसे में गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त से शुरू होगा जो अगले 10 दिनों यानी तक मनाया जाएगा. हालांकि कई जगहों पर ये उत्सव 5 या 7 दिनों तक भी मनाया जाता है.
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ- 21 अगस्त रात 11.02 बजे से लेकर 22 अगस्त रात 7.57 बजे
पूजा मुहूर्त- 22 अगस्त सुबह 11 बजकर 6 मिनट से लेकर 1 बजकर 42 मिनट
पूजा के लिए जरूरी सामग्री
गणपति की मूर्ति को घर में स्थापित करने के समय सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं. शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, पंचामृत, वस्त्र, जनेऊ, मधुपर्क, सुगंध चन्दन, रोली सिन्दूर, अक्षत (चावल), फूल माला, बेलपत्र दूब, शमीपत्र, गुलाल, आभूषण, सुगन्धित तेल, धूपबत्ती, दीपक, प्रसाद, फल, गंगाजल, पान, सुपारी, रूई, कपूर.
इस तरह शुरू करें पूजा
गणेश चतुर्थी की पूजा करने से पहले नई मूर्ति लाना जरूरी है. इस प्रतिमा को आप अपने मंदिर या देव स्थान में स्थापित कर सकते हैं लेकिन इससे पहले भी कई खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अगर आप गणपति जी की मूर्ति को किसी कारण स्थापित नहीं कर सकते तो एक साबुत पूजा सुपारी को गणेश जी का स्वरूप मानकर उसे घर में रख सकते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
- शुभ लाभ के लिए गणपति जी को प्रतिदिन 5 दूर्वा जरूर अर्पित करें.
- प्रसाद में प्रतिदिन पंचमेवा जरूर रखें.
- भगवान के चरणों में 5 हरी इलायची और 5 कमलगट्टे रखें.
- दूर्वा को हर रोज बदल दें लेकिन हरी इलायची और कमलगट्टे को अंतिम दिन तक ऐसे ही रहने दें.
- पूजा समाप्त होने के बाद कमलगट्टों को लाल कपड़े में बांध कर रख लें और इलायची का प्रसाद बांट दें.
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